
भारत में मानसून का आगमन हर साल महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह देश की कृषि और जलस्रोतों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस साल के मानसून के केरल में आने की तिथि पहले के मुकाबले चार दिन पहले होने की संभावना जताई जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार, केरल में मानसून इस बार 1 जून के बजाए 28 मई तक दस्तक दे सकता है। यह बदलाव भारतीय मौसम विभाग (IMD) के पूर्वानुमान के आधार पर किया गया है।
मानसून की समयबद्ध शुरुआत
केरल में मानसून का आगमन आमतौर पर 1 जून को होता है, लेकिन इस बार इसमें मामूली बदलाव देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल मानसून की शुरुआत समय से पहले होने के बावजूद, यह सामान्य से अधिक बारिश ला सकता है। विभाग का कहना है कि मानसून के चलते केरल और दक्षिणी भारत में भारी बारिश हो सकती है, जिससे जलभराव और बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस वर्ष विशेष रूप से पश्चिमी घाट और अन्य ऊंचे इलाकों में अधिक बारिश का अनुमान है।
अधिक बारिश की संभावना
मौसम विभाग का कहना है कि 2025 के मानसून में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। सामान्य तौर पर केरल में मानसून के दौरान 250 मिमी से 400 मिमी तक बारिश होती है, लेकिन इस साल यह आंकड़ा 500 मिमी तक भी जा सकता है। इससे पूरे राज्य में भारी वर्षा हो सकती है, जिससे कृषि और जलस्रोतों पर असर पड़ेगा।
तैयारियां और सावधानियां
मौसम विभाग ने केरल राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को मानसून के आने से पहले जरूरी तैयारियां पूरी करने का निर्देश दिया है। नदी क्षेत्रों में जल स्तर बढ़ने और भूस्खलन के खतरे को देखते हुए, राज्य सरकार ने सुरक्षा उपायों को सख्त किया है। साथ ही, किसानों को अपनी फसलों के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है, ताकि वे मानसून से होने वाले नुकसान से बच सकें।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
इस वर्ष के मानसून के समय से पहले आगमन और अधिक बारिश की संभावना को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम पैटर्न में अस्थिरता बढ़ी है, जिससे मानसून का समय और बारिश की तीव्रता प्रभावित हो सकती है। अधिक बारिश की संभावना ने केरल समेत पूरे दक्षिण भारत के लिए चिंता को बढ़ा दिया है। इस साल मानसून के पहले दस्तक देने की संभावना और अधिक बारिश का अनुमान केरल के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह भारतीय कृषि और जलवायु की गतिशीलता को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। सरकार और नागरिकों को इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा, ताकि मानसून की बाढ़ और जलभराव जैसी समस्याओं से बचा जा सके और राज्य के जलस्रोतों का बेहतर उपयोग किया जा सके।