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उत्तरकाशी: बारिश भी नहीं डिगा सकी श्रद्धालुओं की आस्था, उमड़े गंगोत्री-यमुनोत्री दर्शन को भक्त - The Indian Exposure

उत्तरकाशी: बारिश भी नहीं डिगा सकी श्रद्धालुओं की आस्था, उमड़े गंगोत्री-यमुनोत्री दर्शन को भक्त

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में इन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। बारिश और कठिन पहाड़ी रास्तों के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। श्रद्धालु लगातार गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं, और हर तरफ “हर हर गंगे” और “जय मां यमुना” के जयकारे गूंज रहे हैं।बारिश के बीच फिसलन भरे रास्ते, ठंडी हवाएं और दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र की कठिनाइयों के बावजूद श्रद्धालुओं के हौंसले बुलंद हैं। लोग छाते, रेनकोट और कंबल ओढ़कर यात्रा कर रहे हैं, लेकिन चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि आस्था और आनंद की झलक साफ देखी जा सकती है। कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो देश के कोने-कोने से सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा तय कर गंगोत्री और यमुनोत्री पहुंचे हैं।इस वर्ष चारधाम यात्रा की शुरुआत से ही श्रद्धालुओं का उत्साह अपने चरम पर है, और खासकर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भारी संख्या में भक्तों की मौजूदगी राज्य की धार्मिक पर्यटन क्षमता को दर्शाती है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा, चिकित्सा और ट्रैफिक नियंत्रण की व्यवस्थाएं भी सतर्कता से की गई हैं। यात्रा मार्गों की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है, ताकि मौसम की विषम परिस्थितियों में भी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।उत्तरकाशी के स्थानीय व्यवसायियों के अनुसार, इस बार बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। छोटे दुकानदारों, टूर गाइड्स, होटल्स और लोकल ट्रांसपोर्ट सेवाओं को इसका सीधा लाभ मिल रहा है।यह देखा गया है कि यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुभव ही नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा बन चुकी है, जहां भक्तों का भगवान से मिलन बारिश, सर्दी या थकान से नहीं रुकता। गंगोत्री की भागीरथी और यमुनोत्री की यमुना नदी के दर्शन कर श्रद्धालु खुद को धन्य मानते हैं और मन की शांति लेकर लौटते हैं।राज्य सरकार और पर्यटन विभाग ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर, मेडिकल कैंप और मौसम अलर्ट जैसी सेवाएं भी मुहैया कराई हैं। बारिश के बावजूद यात्रा का सुचारू संचालन इस बात का संकेत है कि उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन को लेकर पहले से कहीं अधिक तैयार और सजग है।

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