
राजधानी देहरादून में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना के लिए प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई है। नगर निगम और संबंधित विभागों की संयुक्त टीम आज से मलिन बस्तियों में चिन्हित मकानों पर लाल निशान लगाने का काम शुरू करेगी। यह कार्रवाई उन घरों को खाली करवाने की प्रक्रिया का हिस्सा है, जो इस मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की राह में आ रहे हैं।एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट शहर के ट्रैफिक जाम को कम करने और तेज यातायात सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया है, लेकिन इसके लिए कई गरीब परिवारों की बस्तियों को उजाड़ा जाना तय है। प्रशासन के अनुसार, इन बस्तियों के कुछ मकान अवैध कब्जों की श्रेणी में आते हैं और इन्हें हटाना विकास कार्यों के लिए अनिवार्य है।
क्या है लाल निशान की प्रक्रिया?
लाल निशान मकान या ढांचे के ध्वस्तीकरण से पहले की एक आधिकारिक प्रक्रिया है, जिसके तहत सरकारी टीमें उन घरों को चिन्हित करती हैं जिन्हें तोड़ा जाना है। आज से शुरू हो रही इस कार्रवाई में सबसे पहले नगर निगम की टीम दस्तावेजों के साथ पहुंचेगी और मकानों पर लाल निशान लगाएगी। इसके बाद एक नोटिस जारी कर मकान खाली करने का समय दिया जाएगा।
प्रभावितों में डर और चिंता का माहौल
बस्तियों में रहने वाले लोगों में इस कार्रवाई को लेकर डर और ग़ुस्से का माहौल है। कई परिवारों का कहना है कि वे वर्षों से यहां रह रहे हैं और उनके पास रहने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। महिलाओं और बच्चों में विशेष रूप से असुरक्षा की भावना देखी जा रही है। कुछ स्थानीय निवासियों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें अब तक न तो कोई मुआवजा मिला है और न ही पुनर्वास की स्पष्ट जानकारी दी गई है।एक निवासी ने कहा, “हम गरीब लोग हैं। यहां जो भी छोटा-मोटा घर बनाया, वो हमारी पूरी ज़िंदगी की कमाई से बनाया। अब सरकार उसे बिना कोई विकल्प दिए तोड़ने पर तुली है। हम कहाँ जाएं?”
प्रशासन का पक्ष
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से नियमानुसार हो रही है और जिन लोगों को हटाया जा रहा है, उन्हें पहले ही कई बार नोटिस दिए जा चुके हैं। परियोजना के तहत आने वाले सभी वैध कब्जेदारों को नियमानुसार पुनर्वास और मुआवजे की प्रक्रिया से गुजरने का अवसर मिलेगा।एक अधिकारी ने बताया, “हम विकास कार्यों को बाधित नहीं कर सकते। एलिवेटेड रोड से पूरे शहर को लाभ होगा। जिन घरों पर कार्रवाई हो रही है, वे सभी चिन्हित क्षेत्र में आते हैं और इनके लिए सरकारी स्तर पर प्रक्रिया जारी है।”
आगे क्या?
लाल निशान की प्रक्रिया के बाद, आगामी सप्ताहों में प्रशासन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू करेगा। इसके तहत कई मकानों को जेसीबी मशीनों से तोड़ा जाएगा। प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिससे विवाद और विरोध की संभावना बनी हुई है। जहां एक ओर एलिवेटेड रोड जैसे विकास कार्यों को शहर की ज़रूरत बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गरीबों की बस्तियों का उजड़ना एक बड़ी सामाजिक चुनौती बनकर उभर रहा है। यह देखना अहम होगा कि प्रशासन किस प्रकार इस संतुलन को बनाता है — विकास और मानवीय संवेदनाओं के बीच।