
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर रविवार को एक बड़ा हादसा हो गया। धारचूला से आगे, लिपुलेख की ओर जाने वाले मार्ग पर अचानक एक विशाल पहाड़ी हिस्सा टूटकर सड़क पर गिर पड़ा। इस भूस्खलन के कारण मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया और आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। इस आपदा के कारण दर्जनों वाहन सड़क पर फंसे रह गए और यात्रियों को घंटों तक खुले आसमान के नीचे इंतज़ार करना पड़ा।यह मार्ग न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर साल हजारों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा पर निकलते हैं, जो भारत-तिब्बत सीमा तक जाती है। मगर इस प्रकार का प्राकृतिक अवरोध न केवल उनकी यात्रा में बाधा डालता है, बल्कि जोखिम भी पैदा करता है।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पहाड़ के टूटते ही एक तेज गर्जना हुई और भारी मात्रा में मलबा व चट्टानें सड़क पर आ गिरीं। सौभाग्यवश इस दौरान कोई जान-माल की हानि नहीं हुई, लेकिन सड़क दोनों ओर से बंद हो गई, जिससे वाहन और लोग बीच रास्ते में फंस गए।
स्थानीय प्रशासन व BRO की टीम मौके पर
घटना की जानकारी मिलते ही सीमा सड़क संगठन (BRO) और जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जेसीबी मशीनों के माध्यम से मलबा हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन खराब मौसम और मलबे की भारी मात्रा के चलते राहत व पुनः मार्ग खोलने में समय लग सकता है। प्रशासन ने लोगों से संयम बनाए रखने की अपील की है।
श्रद्धालु और पर्यटक हुए परेशान
कई श्रद्धालु जो मानसरोवर यात्रा के लिए निकले थे, वे बीच रास्ते में फंस गए। खाने-पीने की सामग्री की कमी और संचार की बाधा ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी। यात्रियों ने स्थानीय प्रशासन से जल्द मार्ग बहाल करने की मांग की है। वहीं स्थानीय ग्रामीणों की रोज़मर्रा की आवाजाही भी प्रभावित हो गई है।
मानसरोवर यात्रा पर प्रभाव
कैलाश मानसरोवर यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती है। लेकिन इस प्रकार की भूस्खलन घटनाएं न केवल यात्रा को प्रभावित करती हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी संकट में डालती हैं। यह मार्ग पहले भी प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई बार बाधित हो चुका है।प्रशासन और BRO द्वारा जल्द से जल्द मार्ग को खोलने की कोशिश की जा रही है, ताकि फंसे हुए श्रद्धालुओं और यात्रियों को राहत मिल सके और यात्रा दोबारा सुचारु रूप से शुरू हो सके। यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि पहाड़ी इलाकों में यात्रा करते समय प्राकृतिक आपदाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। यात्रियों को मौसम और मार्ग की स्थिति की जानकारी लेकर ही यात्रा पर निकलना चाहिए।