बच्चों की आंखों पर चढ़ रहा है मयोपिया का खतरा, डिजिटल स्क्रीन और लाइफस्टाइल बन रहे हैं वजह – जानिए एक्सपर्ट से बचाव के उपाय

बच्चों में मयोपिया (Myopia) यानी निकट दृष्टि दोष के मामले हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या के पीछे आज की बदलती जीवनशैली, अत्यधिक स्क्रीन टाइम और आउटडोर गतिविधियों की कमी प्रमुख कारण हैं। महामारी के बाद ऑनलाइन पढ़ाई, मोबाइल और टैबलेट की लत ने बच्चों की आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। डॉक्टरों की मानें तो अब हर तीसरे बच्चे को चश्मा लगाने की जरूरत पड़ रही है।

क्या है मयोपिया?

मयोपिया एक नेत्र विकार है जिसमें व्यक्ति दूर की वस्तुएं धुंधली देखता है जबकि पास की वस्तुएं स्पष्ट नजर आती हैं। यह आमतौर पर बचपन में शुरू होता है और उम्र के साथ बढ़ता जाता है। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह हाई मयोपिया का रूप ले सकता है, जिससे रेटिना डिटैचमेंट, ग्लूकोमा और यहां तक कि अंधापन भी हो सकता है।

क्यों हो रहा है बच्चों में तेजी से मयोपिया?

  • स्क्रीन का बढ़ता उपयोग: मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर लंबे समय तक देखने से आंखों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और फोकसिंग की क्षमता प्रभावित होती है।
  • बाहर खेलने में कमी: प्राकृतिक रोशनी में समय बिताने से आंखों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। लेकिन आजकल बच्चे आउटडोर एक्टिविटी से दूर हो गए हैं।
  • नजदीक की चीजें ज्यादा देखना: किताबें, कॉपी, स्क्रीन – ये सभी नजदीक देखने वाली आदतें आंखों पर असर डालती हैं।
  • जेनेटिक फैक्टर: यदि माता-पिता को मयोपिया है, तो बच्चों में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

एक्सपर्ट से जानें – कैसे रखें बच्चों की आंखों का ख्याल?

डॉ. आयुष गर्ग, पीडियाट्रिक ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट, बताते हैं कि आंखों की सेहत बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कुछ आदतों को अपनाना बेहद जरूरी है:

  1. 20-20-20 नियम अपनाएं: हर 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद, 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें।
  2. स्क्रीन टाइम सीमित करें: 5 साल से छोटे बच्चों को 1 घंटे से अधिक स्क्रीन देखने से बचाना चाहिए। बड़े बच्चों को भी संयमित उपयोग करना चाहिए।
  3. प्राकृतिक रोशनी में समय बिताएं: बच्चों को हर दिन कम से कम 1–2 घंटे बाहर खेलने देना चाहिए।
  4. संतुलित आहार: हरी सब्जियां, गाजर, अंडा, मछली और विटामिन A से भरपूर चीजें आंखों की सेहत के लिए लाभदायक हैं।
  5. नियमित नेत्र जांच: बच्चों की साल में एक बार आंखों की जांच कराना जरूरी है, खासकर अगर स्क्रीन का इस्तेमाल अधिक हो।

चेतावनी के संकेत:

  • बच्चा बार-बार आंखें मिचकाए या आंखों को रगड़े।
  • किताब को बहुत नजदीक से पढ़े या टीवी बहुत पास से देखे।
  • दूर की वस्तुएं धुंधली दिखने की शिकायत करे।
  • पढ़ते समय सिर झुकाकर या एक आंख बंद करके पढ़े।

यदि ये लक्षण नजर आएं, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें।

मयोपिया को रोका जा सकता है अगर समय रहते सतर्कता बरती जाए। बच्चों को डिजिटल दुनिया के साथ संतुलन बनाए रखना सिखाना अब जरूरी हो गया है। स्क्रीन के साथ-साथ हरियाली, सूरज की रोशनी और खुले आसमान में खेलने से बच्चों की आंखों को लंबी उम्र तक स्वस्थ रखा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471