पानी को लेकर बवाल: सिंध में गृह मंत्री के घर पर हमला, जलाया गया मकान; हथियारों से लैस पहुंचे प्रदर्शनकारी

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में जल संकट अपने चरम पर पहुंच गया है, जिससे हालात इतने बिगड़ गए कि आम जनता सड़कों पर उतर आई। हालात तब और तनावपूर्ण हो गए जब गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री के घर पर हमला बोल दिया और उसे आग के हवाले कर दिया। बताया जा रहा है कि यह हिंसक विरोध पानी की भारी कमी को लेकर फूटा है, जिसने क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रशासन पानी की आपूर्ति को लेकर लगातार विफल रहा है। कई गांवों और कस्बों में हफ्तों से पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है। खेत सूख रहे हैं, पशुधन मर रहा है और लोग बुनियादी जरूरतों के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। इसी गुस्से में सैकड़ों की संख्या में लोग हथियारों और डंडों के साथ सिंध के गृह मंत्री के निवास स्थान की ओर बढ़े।मौके पर पहुंचते ही भीड़ ने तोड़फोड़ शुरू कर दी और देखते ही देखते घर में आग लगा दी। सुरक्षा बलों ने हालात पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कुछ स्थानों पर हवाई फायरिंग भी की। हालांकि, आगजनी की इस घटना में किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन गृह मंत्री के घर को गंभीर नुकसान पहुंचा है।स्थानीय प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की यह हरकत पूरी तरह से कानून के खिलाफ है और दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, जनता का कहना है कि बार-बार की अपीलों और ज्ञापनों के बावजूद सरकार ने पानी संकट को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे यह हालात पैदा हुए।पानी की यह समस्या केवल सिंध तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान के कई हिस्सों में जल प्रबंधन की खस्ता हालत सामने आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते जल संकट की नीति नहीं बनाई गई तो देश को आने वाले वर्षों में और भी भयावह परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय जल संगठन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया के उन देशों में से एक है जो गंभीर जल संकट की ओर बढ़ रहा है। सरकार की ओर से जल संरक्षण और आपूर्ति के स्थायी समाधान की बजाय केवल तात्कालिक उपाय किए जा रहे हैं, जिससे लोगों का भरोसा उठता जा रहा है।इस पूरे घटनाक्रम ने पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और प्रशासनिक विफलता को उजागर कर दिया है। गृह मंत्री के घर पर हमला न केवल एक प्रतीकात्मक विरोध था, बल्कि यह सरकार को एक कठोर संदेश भी था कि अगर बुनियादी सुविधाओं को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो जनाक्रोश और भी विकराल रूप ले सकता है।

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