
उत्तराखंड में एक बार फिर से कोरोना वायरस का खतरा सिर उठाने लगा है। राज्य में हाल ही में दो ऐसे मरीजों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है, जिनकी हाल की यात्रा इतिहास (ट्रैवल हिस्ट्री) विदेश से जुड़ी रही है। स्वास्थ्य विभाग ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ये दोनों मरीज हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे थे और उनमें हल्के लक्षण दिखने के बाद कोविड-19 टेस्ट किया गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के साथ ही दोनों को आइसोलेट कर दिया गया है और उनका इलाज प्रोटोकॉल के अनुसार शुरू कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों मरीजों के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उन्हें भी निगरानी में रखा गया है।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) ने जानकारी दी कि संक्रमित व्यक्तियों की ट्रैवल डिटेल्स को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट और बॉर्डर एंट्री पॉइंट्स पर स्क्रीनिंग और सैंपलिंग की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। उन्होंने आम जनता से भी अपील की है कि अगर किसी ने हाल ही में विदेश यात्रा की है या कोविड जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो वह तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने भी स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट के तीनों पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा, “हालांकि अभी घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता अत्यंत आवश्यक है।”
इस नई स्थिति ने प्रशासन को फिर से कोविड प्रोटोकॉल की समीक्षा करने के लिए प्रेरित किया है। राज्य के कई जिलों में मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन जैसे नियमों को पुनः लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों से बचें और केवल अधिकृत सूत्रों से प्राप्त सूचना पर ही भरोसा करें। साथ ही कोविड वैक्सीनेशन की स्थिति भी पुनः जांची जा रही है और जिन लोगों ने अब तक बूस्टर डोज़ नहीं ली है, उन्हें शीघ्र ही वैक्सीन लगवाने की सलाह दी गई है।
उत्तराखंड जैसे पर्यटन प्रधान राज्य के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन सकती है। इसलिए सरकार इस बार कोई चूक नहीं करना चाहती। ट्रैवल हिस्ट्री की सख्त निगरानी और लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्टिंग की नीति को प्राथमिकता दी जा रही है।
निष्कर्षतः, कोविड के मामलों में अचानक हुई यह बढ़ोतरी राज्य प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि महामारी अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। ऐहतियात, जागरूकता और समय पर चिकित्सा ही इससे बचाव का एकमात्र उपाय है।