
चमोली, उत्तराखंड — साहित्यिक जगत के लिए चमोली जनपद आज एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जहां प्रदेश भर के 51 प्रतिभाशाली साहित्यकारों को प्रतिष्ठित ‘मां सरस्वती सम्मान पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा और भाषा-संस्कृति को समर्पित रहा, जिसमें भावनाओं, विचारों और कविता की शक्ति को सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया।इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन एक सांस्कृतिक संस्था द्वारा चमोली के एक प्रमुख सभागार में किया गया, जहां साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने आयोजन को गौरवपूर्ण बना दिया। समारोह की अध्यक्षता स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और साहित्यिक प्रतिष्ठाओं ने की।
सम्मानित हुए राज्य के रचनात्मक स्तंभ
‘मां सरस्वती सम्मान’ उन साहित्यकारों को प्रदान किया गया, जिन्होंने कविता, कहानी, नाटक, लोक साहित्य, आलोचना और शोध के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है। सम्मान स्वरूप साहित्यकारों को शॉल, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया। सम्मान पाने वालों में वरिष्ठ रचनाकारों से लेकर नवोदित प्रतिभाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज को दिशा देने का कार्य किया है।
काव्य गोष्ठी में बही भावनाओं की सरिता
सम्मान समारोह के उपरांत आयोजित हुई एक काव्य गोष्ठी, जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कविता पाठ की इस संध्या में कभी पहाड़ों की व्यथा थी, तो कहीं प्रेम, प्रकृति और सामाजिक चेतना की झलक। श्रोताओं ने हर एक रचना को उत्साह के साथ सुना और सराहा। कार्यक्रम स्थल तालियों की गूंज और शब्दों की महक से भरा रहा।
संस्कृति और साहित्य के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
कार्यक्रम आयोजकों का कहना है कि इस तरह के सम्मान समारोह न केवल साहित्यकारों के मनोबल को बढ़ाते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी लेखन और संस्कृति की ओर प्रेरित करते हैं। यह आयोजन उत्तराखंड की उस सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है, जो पर्वतों की ऊँचाई जितनी विशाल और नदियों जैसी प्रवाहमान है।
स्थानीय प्रशासन और समाज की सहभागिता
समारोह में चमोली प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधि, शिक्षाविद, पत्रकार और सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। आयोजकों ने इस कार्यक्रम को हर साल आयोजित करने का संकल्प भी लिया, ताकि साहित्य की अलख जलती रहे और लेखनी की शक्ति से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आए। चमोली में आयोजित यह सम्मान समारोह न केवल साहित्यकारों के लिए गौरव का विषय रहा, बल्कि यह उत्तराखंड के समृद्ध साहित्यिक भविष्य की ओर बढ़ता एक सशक्त कदम भी है। मां सरस्वती के आशीर्वाद से सराबोर यह आयोजन वर्षों तक याद रखा जाएगा।