हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में पावन डुबकी, सोमवती अमावस्या की धूम

हरिद्वार, 26 मई — उत्तराखंड के धार्मिक नगरी हरिद्वार में सोमवती अमावस्या के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हरकी पैड़ी, जो गंगा नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख घाट है, पर आस्था की लहरें बहीं और भक्तों ने गंगा नदी में पवित्र स्नान कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की। यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह अमावस्या का वह विशेष दिन होता है जो सोमवार (सोमवार) को पड़ता है। ऐसे में इस दिन गंगा में स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है।

आस्था का समुंदर

सुबह से ही हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। दूर-दूर से आए भक्तों ने लंबी कतारों में लगकर गंगा के निर्मल जल में डुबकी लगाई। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित सभी ने धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। घाट पर विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और हवन यज्ञ भी किए गए, जिससे वातावरण और भी पावन और श्रद्धामय हो गया।

धार्मिक विधि और सांस्कृतिक आयोजन

सोमवती अमावस्या के शुभ अवसर पर घाट पर धार्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। पंडितों ने गंगा की महिमा, अमावस्या के महत्व और सोमवती अमावस्या पर किए जाने वाले उपायों के बारे में बताया। लोगों ने अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया।

गंगा स्नान का महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सोमवती अमावस्या पर गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। इसी कारण यह दिन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हरिद्वार जैसे पवित्र स्थान पर यह पुण्य दोगुना माना जाता है क्योंकि यहाँ गंगा नदी का प्रवाह अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली होता है।

स्थानीय प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था

इतनी भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा व व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखा। भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और सहज तरीके से अपने धार्मिक कृत्यों को संपन्न कर सकें। स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन व्यवस्थाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया। हरिद्वार में सोमवती अमावस्या के अवसर पर उमड़ी श्रद्धा और आस्था की भीड़ ने इस धार्मिक नगरी की पवित्रता को और बढ़ा दिया। गंगा में पावन स्नान कर भक्तों ने अपने मन को शांति और शरीर को शुद्धि का आशीर्वाद दिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी एकता और समर्पण का संदेश लेकर आया।

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