
गुजरात, 26 मई — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के दौरे के दौरान बहनों के सिंदूर को लेकर एक सशक्त और कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर कोई हमारी बहनों के सिंदूर को मिटाने या उससे खिलवाड़ करने की कोशिश करेगा, तो उसका भी मिटना तय है। यह बयान प्रधानमंत्री मोदी की महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के प्रति उनके गंभीर रवैये को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज में महिलाओं की गरिमा और उनकी सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
पीएम मोदी का संदेश और सामाजिक महत्व
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि सिंदूर सिर्फ एक रंग नहीं बल्कि बहनों और महिलाओं के सम्मान का प्रतीक है। इसका अपमान समाज की संवेदनशीलता और मर्यादा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इस संदर्भ में उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे महिलाओं के अधिकारों और परंपराओं की रक्षा करें और ऐसी किसी भी घटना को बर्दाश्त न करें, जो उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाए।
गुजरात में महिलाओं के प्रति सुरक्षा के कदम
प्रधानमंत्री ने गुजरात सरकार की महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा केवल कानून व्यवस्था का मामला नहीं बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। इस दौरे के दौरान उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
सिंहावलोकन और भविष्य की योजनाएं
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है। विभिन्न सामाजिक और आर्थिक योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने समाज के हर वर्ग से आग्रह किया कि वे इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभाएं ताकि एक सुरक्षित और सम्मानजनक समाज का निर्माण हो सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया
पीएम मोदी के इस सख्त बयान को गुजरात सहित पूरे देश में विभिन्न वर्गों ने समर्थन दिया है। कई सामाजिक कार्यकर्ता और महिला संगठन इसे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। वहीं कुछ राजनेताओं ने भी इस बात पर सहमति जताई कि महिलाओं के प्रति होने वाले किसी भी प्रकार के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरे पर दिया गया यह कड़ा संदेश महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के प्रति देश की नीतियों में मजबूती का प्रतीक है। उनके इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं की गरिमा और सांस्कृतिक प्रतीकों की रक्षा में कोई समझौता नहीं होगा और इसके लिए सरकार तथा समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा।