पंकज त्रिपाठी से खास बातचीत: पहली फिल्म देखने की यादें और पिताजी के साथ थियेटर का अनुभव

पंकज त्रिपाठी, जो आज भारतीय सिनेमा और OTT जगत के एक बेहतरीन अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं, ने अपनी फिल्मी यात्रा की शुरुआत की एक बेहद खास और दिलचस्प कहानी साझा की है। उन्होंने बताया कि उनकी पहली फिल्म देखने का अनुभव कैसे था और इस अनुभव का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा। पंकज के अनुसार, उनकी पहली फिल्म ‘जय संतोषी मां’ थी, जिसे उन्होंने अपने पिताजी के साथ थियेटर में देखा था।

पंकज ने बताया कि वह अपने पिताजी के साथ पूजा कराने थियेटर गए थे, जो उस समय धार्मिक और सामाजिक आयोजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था। वहीं, उसी दौरान उन्होंने पहली बार बड़ी स्क्रीन पर ‘जय संतोषी मां’ फिल्म देखी। यह फिल्म उस दौर में बेहद लोकप्रिय और श्रद्धालुओं के बीच खासा पसंदीदा थी। पंकज ने यह अनुभव अपने करियर की शुरुआती यादों के रूप में याद किया, जिसने उनकी फिल्मी दुनिया के प्रति रुचि को और भी गहरा कर दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि उस दिन की यादें आज भी उनके दिल में ताजा हैं। एक छोटे से गांव से आने वाले पंकज के लिए थियेटर में जाकर फिल्म देखना एक अद्भुत अनुभव था। वह उस वक्त इस बात से अनजान थे कि आने वाले वर्षों में वह खुद फिल्मी दुनिया में एक महत्वपूर्ण नाम बनेंगे। ‘जय संतोषी मां’ ने उनके दिल में सिनेमा के प्रति एक अलग ही जज्बा जगा दिया।

पंकज त्रिपाठी का यह अनुभव यह दर्शाता है कि कैसे छोटे-छोटे पल और अनुभव किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। एक सामान्य परिवार से आने वाले पंकज ने इस सफर में बहुत संघर्ष किया, लेकिन अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर उन्होंने फिल्म और थिएटर जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी यह कहानी न सिर्फ उनके फैंस के लिए प्रेरणा है, बल्कि उन सभी के लिए भी है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर मेहनत करते हैं।

आज पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड और वेब सीरीज की दुनिया में एक स्थापित नाम हैं, जिन्होंने अपनी अभिनय कला से लाखों दिलों को छुआ है। लेकिन उनका दिल आज भी उस दिन के लिए धड़कता है जब उन्होंने पहली बार थियेटर में ‘जय संतोषी मां’ देखी थी — एक ऐसी फिल्म जिसने उनकी फिल्मी यात्रा की शुरुआत की थी।

अगर आप भी पंकज त्रिपाठी की कहानी से प्रेरित हैं तो यह उनके संघर्ष और सपनों की सच्चाई का जीवंत उदाहरण है, जो साबित करता है कि सही समय और मेहनत से कोई भी अपनी मंजिल पा सकता है।

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