
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भारत द्वारा इस संधि को आंशिक या पूर्ण रूप से स्थगित करने के विचार को सही ठहराते हुए कहा कि अब केवल उदारता और दयालुता के सहारे आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है, खासतौर पर तब जब पाकिस्तान की ओर से लगातार शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।
थरूर ने कहा कि यह संधि, जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच बनी थी, तब की परिस्थितियों में प्रासंगिक हो सकती थी, लेकिन आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में इसकी समीक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान न सिर्फ बार-बार भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को शह देता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अब तक इंसानियत और नैतिक मूल्यों के आधार पर इस संधि का सम्मान किया, लेकिन पाकिस्तान ने इसे कभी उसकी कमजोरी मान लिया। थरूर ने यह भी कहा कि जल को हथियार बनाना सही नहीं, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना पहली प्राथमिकता है।
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ने भी सिंधु जल संधि की समीक्षा को लेकर कड़ा रुख दिखाया है और इसके प्रावधानों पर पुनर्विचार की बात कही है।
📌 यह बयान न सिर्फ भारत-पाकिस्तान संबंधों की नब्ज को छूता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि भारत अब “स्ट्रैटेजिक पेसिवनेस” छोड़कर “स्मार्ट स्ट्रैटेजी” की ओर बढ़ रहा है।