
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शिद ने हाल ही में एक अहम बयान दिया है, जिसने राजनीति में हलचल मचा दी है। थरूर के बाद अब सलमान खुर्शिद ने पाकिस्तान के साथ शांति और सीजफायर की संभावनाओं को लेकर पार्टी की नीतियों और कूटनीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। खुर्शिद ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ सीजफायर के लिए हाथ बढ़ाया था, लेकिन राजनीतिक और कूटनीतिक कारणों से इस पहल को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
सलमान खुर्शिद ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए सकारात्मक संकेत मिले थे और वार्ता का दरवाजा खुला था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दोनों पक्ष ईमानदारी से संवाद को आगे बढ़ाते तो कश्मीर में स्थायी शांति आ सकती थी। उन्होंने पार्टी के भीतर चल रहे आंतरिक मतभेदों और रणनीतियों को लेकर भी चिंता जाहिर की।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में सीमाई तनाव जारी है और कश्मीर को लेकर राजनीतिक बहसें तेज हैं। खुर्शिद की यह बात पार्टी के भीतर भी चर्चा का विषय बनी है। कई नेताओं ने इसे देशहित में ईमानदारी की मिसाल बताया है, तो कुछ इसे पार्टी की नीति से अलग मान रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि सलमान खुर्शिद का यह बयान आगामी शांति प्रयासों के लिए एक नई दिशा दिखा सकता है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति और अंदरूनी सहमति ही इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। साथ ही, यह बयान पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को भी उजागर करता है, जो आगामी चुनाव और नीतिगत फैसलों को प्रभावित कर सकता है।
आम जनता और राजनीतिक जानकार अब इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि इस बयान का पार्टी की रणनीति और देश की विदेश नीति पर क्या असर होगा। क्या यह बयान शांति वार्ता के नए दौर की शुरुआत करेगा या फिर राजनीतिक विवादों को और बढ़ाएगा, यह वक्त ही बताएगा।