देश की सुरक्षा पर कब बोलेगी सरकार? संसद में चर्चा की मांग पर कांग्रेस का सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सात संसदीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस ने सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं। कांग्रेस का कहना है कि जब प्रधानमंत्री खुद विदेश से लौटे इन प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सकते हैं, तो अब उन्हें संसद के मानसून सत्र में देश की सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े गंभीर मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा करानी चाहिए।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश की सुरक्षा नीति और भारत की विदेश नीति को लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाएंगे और उनकी अध्यक्षता करेंगे? उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में भारत की भविष्य की रणनीति को लेकर विपक्षी नेताओं को विश्वास में लेंगे? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सिंगापुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) द्वारा दिए गए खुलासों पर कोई स्पष्ट रुख अपनाया जाएगा?जयराम रमेश ने यह भी उठाया कि प्रधानमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद की सुरक्षा रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए तैयार है? उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ द्वारा संसद के विशेष सत्र की मांग को खारिज कर चुकी है।इसके साथ ही कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से यह भी पूछा है कि क्या वह इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा?जयराम रमेश ने यह भी सुझाव दिया कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के पिता और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के. सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में गठित की गई कारगिल समीक्षा समिति की तरह एक नई विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाना चाहिए। यह समिति ऑपरेशन सिंदूर के विस्तार से विश्लेषण के साथ-साथ आधुनिक सैन्य प्लेटफॉर्म, तकनीकी नवाचार और संकट की स्थिति में रणनीतिक संचार की दिशा में भारत की तैयारी पर अपनी सिफारिशें दे सके।उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस तरह की समिति गठित होती है तो उसकी रिपोर्ट को संशोधित करके संसद में पेश किया जाए, जैसा कि कारगिल समिति की रिपोर्ट को वर्ष 2000 में संसद में प्रस्तुत किया गया था।गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सात अलग-अलग संसदीय प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की थी। इन प्रतिनिधिमंडलों में सांसदों के साथ-साथ पूर्व राजनयिक भी शामिल थे। ये प्रतिनिधिमंडल पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत का सुरक्षा-संदेश पहुंचाने के उद्देश्य से विदेश यात्रा पर भेजे गए थे।कांग्रेस के इन सवालों से यह स्पष्ट है कि विपक्ष संसद में खुली बहस और पारदर्शिता की मांग कर रहा है, खासकर तब जब देश की सीमाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसले चर्चा में हैं।

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