
उत्तराखंड में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सुबह से बारिश का दौर शुरू हो गया, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली है। चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी जैसे जिलों में झमाझम बारिश ने मौसम को सुहावना बना दिया है। वहीं, दूसरी ओर राज्य के मैदानी हिस्सों में गर्मी का कहर लगातार जारी है और लोग चिलचिलाती धूप व उमस से बेहाल हैं।
चमोली में सड़क बंद, घाटियों में कोहरा
चमोली जिले के कुजौं मेकोट क्षेत्र में भारी बारिश के चलते कौंज पोथनी गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क अवरुद्ध हो गई है, जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार बारिश की वजह से नदी घाटियों में घना कोहरा छा गया है, जिससे दृश्यता में भारी गिरावट दर्ज की गई है और आवाजाही प्रभावित हो रही है।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी खराब मौसम
बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम खराब बना हुआ है। वहां बादल छाए हुए हैं और रुक-रुक कर हल्की बारिश भी हो रही है, जिससे तापमान और अधिक गिर गया है। यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
मैदानों में गर्मी से हाहाकार
जहां एक ओर पहाड़ों में बारिश से मौसम खुशनुमा हो गया है, वहीं दूसरी ओर हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंहनगर जैसे मैदानी जिलों में भीषण गर्मी लोगों को परेशान कर रही है। सुबह से ही चिलचिलाती धूप और तेज उमस ने लोगों का बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। जगह-जगह बिजली की आंखमिचौली और पानी की किल्लत ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है।
मानसून के आने में अभी और इंतजार
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अनुसार, राज्य में मानसून के आगमन में अभी कुछ दिन की देरी है। मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि 20 जून के बाद ही मानसून के आने की संभावना है। हालांकि तब तक प्रदेश के कई हिस्सों में 16 जून तक हल्की से मध्यम बारिश होती रहेगी, जिससे लोगों को उमस भरी गर्मी से अस्थाई राहत मिल सकती है।उन्होंने यह भी बताया कि मानसून से पहले की हल्की बूंदाबांदी और आंधी-तूफान जैसे हालात बन सकते हैं, खासकर पर्वतीय इलाकों में, जहां अचानक मौसम बदलने की संभावना अधिक होती है। उत्तराखंड में इस समय मौसम दो रंग दिखा रहा है — एक ओर पहाड़ों में बारिश से राहत है, तो दूसरी ओर मैदानों में गर्मी का प्रकोप। मानसून के आगमन से पहले का यह परिवर्तनशील मौसम लोगों को थोड़ी राहत जरूर देगा, लेकिन बिजली और सड़क व्यवस्था को लेकर प्रशासन को चौकस रहने की जरूरत है।