
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि के साथ छेड़छाड़ और उन्हें तानाशाह हिटलर के समान बताने वाले एक AI-जनरेटेड वीडियो को लेकर देश की राजनीति में नया तूफान खड़ा हो गया है। भाजपा के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल (X) पर पोस्ट किए गए इस वीडियो के बाद कांग्रेस पार्टी भड़क गई है और कर्नाटक कांग्रेस नेता एस. मनोहर ने पुलिस में FIR दर्ज कराई है, जिसमें भाजपा पर मानहानि, धार्मिक समूहों के बीच नफरत फैलाने, और झूठी जानकारी प्रसारित करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
क्या था विवादित वीडियो?
भाजपा की ओर से शेयर किया गया AI वीडियो 37 सेकंड का था, जिसमें इंदिरा गांधी को हिटलर जैसी छोटी मूंछों के साथ दिखाया गया। वीडियो की शुरुआत में AI से तैयार की गई इंदिरा गांधी की आवाज सुनाई देती है, जिसमें कहा गया – “मैं आपातकाल की घोषणा करती हूं और देश को अपने नियंत्रण में लेती हूं।”
इसके बाद नैरेटर कहता है – “भारत ने अपनी आवाज खो दी और लोकतंत्र दफन हो गया।” वीडियो में यह भी कहा गया कि “प्रेस को चुप करा दिया गया, नेताओं को जेल में डाल दिया गया, कर्फ्यू लगा, लोगों की स्वतंत्रता छीन ली गई।”
वीडियो में और क्या कहा गया?
पोस्ट के साथ जो कैप्शन दिया गया, उसमें लिखा था – “इंदिरा भारत के बराबर नहीं है, इंदिरा हिटलर के बराबर है।”
भाजपा ने एक और 12 सेकंड का AI वीडियो जारी किया जिसमें इंदिरा गांधी को पोडियम पर साड़ी में खड़ा दिखाया गया और उसे “हिटलर का अवशेष… साड़ी में” बताया गया।
कांग्रेस का विरोध और कानूनी कदम
कांग्रेस ने इस वीडियो को बेहद अपमानजनक और नफरत फैलाने वाला बताया है। FIR में भाजपा पर आरोप लगाया गया कि उसने जानबूझकर एक ऐसी छवि पेश की है जो न सिर्फ इंदिरा गांधी के प्रति अपमानजनक है, बल्कि देश के धार्मिक और सामाजिक सौहार्द को भी चोट पहुंचा सकती है।
एस. मनोहर ने भाजपा के सोशल मीडिया टीम के खिलाफ आईटी एक्ट, मानहानि, और सांप्रदायिक नफरत फैलाने की धाराओं में केस दर्ज कराया है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
अब तक भाजपा की ओर से इस विवाद पर कोई औपचारिक माफ़ी नहीं आई है, बल्कि पार्टी ने अपने रुख को यह कहकर सही ठहराया है कि यह आपातकाल की क्रूर सच्चाई को उजागर करने की कोशिश है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को कुचला था, और इसे याद दिलाना कोई अपराध नहीं है।
राजनैतिक माहौल गर्म
यह मामला अब एक राजनीतिक तूफान का रूप ले चुका है। कांग्रेस इसे शहीद नेताओं का अपमान बता रही है, जबकि भाजपा इसे ऐतिहासिक सच्चाई का दस्तावेजीकरण कह रही है। चुनावी साल में यह विवाद और भी उग्र रूप ले सकता है।