
नई दिल्ली, 8 जुलाई 2025 — देशभर में बुधवार, 9 जुलाई को एक बड़ा श्रमिक आंदोलन देखने को मिल सकता है। करीब 25 करोड़ कर्मचारी और मजदूर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल पर उतरने जा रहे हैं। इस हड़ताल को लेकर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने एलान किया है कि यह “भारत बंद” जैसा स्वरूप ले सकती है। हड़ताल की वजह से बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाएं, कोयला खदानें, परिवहन और अन्य कई सार्वजनिक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं।
हड़ताल की प्रमुख वजहें: मज़दूरों की अनदेखी और कॉरपोरेट को बढ़ावा
हड़ताल का आह्वान करने वाले यूनियनों का कहना है कि सरकार लगातार मज़दूरों की आवाज़ को अनसुना कर रही है और कॉरपोरेट घरानों को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू कर रही है। इस हड़ताल की तैयारी पिछले कई महीनों से की जा रही है।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने समाचार एजेंसी PTI से बातचीत में कहा:
“इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा कामगार शामिल होंगे। ग्रामीण मजदूर, किसान और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक भी विरोध में भाग लेंगे।“
किन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर? क्या खुला रहेगा और क्या रहेगा बंद?
हड़ताल की व्यापकता को देखते हुए यह जानना जरूरी है कि किस-किस सेवा पर असर पड़ेगा और आम नागरिक को क्या परेशानी हो सकती है।
❌ जो सेवाएं प्रभावित रहेंगी:
- बैंकिंग सेवाएं: सरकारी बैंकों में कामकाज ठप हो सकता है। ATM सेवाओं पर आंशिक असर संभव है।
- बीमा क्षेत्र: LIC और अन्य सरकारी बीमा संस्थानों में सेवाएं बाधित रहेंगी।
- डाक सेवाएं: पोस्ट ऑफिस में डाक और पार्सल सेवाओं पर असर पड़ेगा।
- सरकारी परिवहन: बसें, रेलवे के कुछ डिपार्टमेंट और ट्रांसपोर्ट यूनियनों की भागीदारी से ट्रैफिक पर असर पड़ सकता है।
- कोयला और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयाँ: उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
✅ जो सेवाएं खुली रहेंगी:
- शेयर बाजार: NSE और BSE में नियमित रूप से ट्रेडिंग होगी।
- सर्राफा बाजार: ज्वेलरी और सोने-चांदी का कारोबार सामान्य रूप से चालू रहेगा।
- प्राइवेट बैंक और डिजिटल बैंकिंग: सीमित रूप से कार्यरत रहेंगे, लेकिन यूनियन सपोर्ट न होने के चलते इनमें काम चलता रहेगा।
- दवाइयों की दुकानें और जरूरी मेडिकल सेवाएं: आमतौर पर इससे हड़ताल को छूट दी जाती है।
सरकार की प्रतिक्रिया और सुरक्षा इंतज़ाम
अब तक सरकार की ओर से इस हड़ताल को लेकर कोई सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन राज्य और केंद्र सरकारें आपात सेवाओं को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल और वैकल्पिक उपायों की तैयारी में जुटी हैं। कई राज्यों में धारा 144 लागू की जा सकती है ताकि अव्यवस्था न फैले। वहीं कुछ राज्यों ने शिक्षण संस्थानों को भी हड़ताल के दिन छुट्टी घोषित कर दी है।
क्या कहती हैं यूनियन की मांगें?
हड़ताल कर रही यूनियनें निम्नलिखित मुद्दों को लेकर विरोध में हैं:
- नई लेबर कोड्स की वापसी
- निजीकरण की नीतियों को बंद करना
- महंगाई और बेरोजगारी पर प्रभावी नियंत्रण
- सभी के लिए न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना
- ठेका श्रमिकों को स्थायी करना और समान काम के लिए समान वेतन
निष्कर्ष: देश की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा सीधा प्रभाव
9 जुलाई को प्रस्तावित इस हड़ताल का सीधा असर देश की आर्थिक गतिविधियों, आम नागरिकों की रोजमर्रा की जरूरतों और सार्वजनिक सेवाओं पर पड़ेगा। हालांकि सभी सेवाएं पूरी तरह बंद नहीं होंगी, फिर भी बैंक, बीमा, डाक और परिवहन जैसे जरूरी सेक्टरों में रुकावट आम जनता को असुविधा में डाल सकती है। यह हड़ताल केवल एक विरोध नहीं, बल्कि श्रमिकों की बढ़ती नाराज़गी का संकेत है — जिसे अब अनदेखा नहीं किया जा सकता।