
ऋषिकेश, 9 जुलाई 2025 —
एक दर्दनाक हादसे ने मंगलवार की सुबह ऋषिकेश के ब्रह्मपुरी क्षेत्र स्थित राम तपस्थली घाट को स्तब्ध कर दिया, जब मध्यप्रदेश से राम कथा सुनने आई एक मां-बेटी गंगा के तेज बहाव में बह गईं। घटना सुबह करीब 6:30 बजे की है, जब ये दोनों महिलाएं स्नान के लिए घाट पर उतरी थीं और अचानक गंगा की तेज धारा में समा गईं।जानकारी के अनुसार, राम तपस्थली आश्रम में इन दिनों राम कथा का आयोजन चल रहा है, जिसमें भाग लेने के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। इसी क्रम में मध्यप्रदेश के कैलाश रस मोरियाना क्षेत्र से आईं मनू उपाध्याय (पत्नी मनीष उपाध्याय) और उनकी 18 वर्षीय बेटी गौरी उपाध्याय (पुत्री मनीष उपाध्याय) भी कथा सुनने ऋषिकेश पहुंची थीं। मंगलवार सुबह दोनों स्नान करने के उद्देश्य से राम तपस्या आश्रम के घाट पर गई थीं, लेकिन स्नान के दौरान गंगा की धारा इतनी तेज थी कि दोनों उस बहाव में बह गईं और देखते ही देखते पानी में लापता हो गईं।घटना की सूचना मिलते ही मौके पर एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम तुरंत पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू किया। लेकिन अब तक मां-बेटी का कोई सुराग नहीं लग पाया है। गंगा में तेज बहाव और जलस्तर की जटिल स्थिति को देखते हुए एसडीआरएफ ने हरिद्वार जल पुलिस, अन्य बैराज स्टाफ और आपदा राहत एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया है।स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह स्थान सामान्यतः सुरक्षित माना जाता है, लेकिन मानसून के इस समय में गंगा का जलस्तर ऊंचा होने के कारण स्नान के दौरान विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है। राम कथा में शामिल होने आए अन्य श्रद्धालु भी इस घटना से सदमे में हैं और लगातार घाट पर जुटे रहकर किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं।एसडीआरएफ कमांडर ने बताया कि सर्च ऑपरेशन में बोट, ड्रोन कैमरा और गोताखोरों की मदद ली जा रही है। साथ ही हरिद्वार, बैराज और नीचे के क्षेत्रों में भी अलर्ट जारी किया गया है ताकि किसी भी संभावित लोकेशन पर तलाश जारी रखी जा सके।यह घटना श्रद्धा के उस स्वरूप को झकझोरने वाली है, जहाँ आस्था और सुरक्षा के बीच एक क्षणिक असावधानी जीवन को संकट में डाल सकती है। प्रशासन ने घाटों पर सावधानीपूर्वक स्नान करने की अपील की है और गैर-स्थानीय श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे अकेले या बिना स्थानीय सहायता के गंगा स्नान से परहेज करें।इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि धार्मिक आयोजनों में भाग लेने वालों को सुरक्षा उपायों के प्रति और अधिक सजग रहना होगा, ताकि आस्था का यह अमूल्य सफर किसी अनहोनी में न बदल जाए।