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बिजली संकट होगा खत्म! एक साल में पूरी होंगी 6 मेगा पारेषण परियोजनाएं - The Indian Exposure

बिजली संकट होगा खत्म! एक साल में पूरी होंगी 6 मेगा पारेषण परियोजनाएं

उत्तराखंड में बिजली पारेषण प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) द्वारा वित्त पोषित छह प्रमुख विद्युत पारेषण परियोजनाएं वर्ष 2026 तक पूरी कर ली जाएंगी। इन परियोजनाओं के पूरा होने से राज्य में लो वोल्टेज, बार-बार बिजली ट्रिपिंग और आपूर्ति में रुकावटों की समस्याएं काफी हद तक खत्म हो जाएंगी। इसका सीधा लाभ उद्योगों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और आम उपभोक्ताओं को मिलेगा।


ये हैं वो छह प्रमुख परियोजनाएं

राज्य के विभिन्न हिस्सों में संचालित ये छह परियोजनाएं निम्नलिखित हैं:

  1. 220 केवी सेलाकुई पारेषण परियोजना
  2. 132 केवी खटीमा पारेषण परियोजना
  3. 132 केवी लोहाघाट (चंपावत)
  4. 132 केवी धौलाखेड़ा (नैनीताल)
  5. 132 केवी आराघर (देहरादून)
  6. 220 केवी मंगलौर पारेषण परियोजना

इन सभी परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इन्हें तय समयसीमा के भीतर पूरा करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है।


मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक

राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय स्थित सभागार में पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (PITCUL) की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में मानसून सीजन को देखते हुए बिजली आपूर्ति की स्थिरता और सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि:

  • मानसून सीजन में पारेषण तंत्र की स्थिरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
  • किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो — सभी तकनीकी मानकों और SOP (Standard Operating Procedure) का पालन अनिवार्य हो।
  • लाइन ब्रेकडाउन या अन्य तकनीकी गड़बड़ियों की स्थिति में तुरंत विश्लेषण और समाधान किया जाए।
  • पारेषण लाइनों की पूर्व-मानसून जांच और नुकसान संभावित क्षेत्रों की पहचान की जाए ताकि समय रहते सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की प्राथमिकता राज्य में सुदृढ़ और भरोसेमंद इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति किसी भी क्षेत्र के विकास की रीढ़ होती है, और इन परियोजनाओं के माध्यम से हम भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पारेषण ढांचे को आधुनिक बना रहे हैं।

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