
नई दिल्ली | 9 जुलाई 2025
केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कई स्वतंत्र संगठनों द्वारा बुधवार को 24 घंटे के राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्वान किया गया, जिसका असर देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग देखा गया। जहां केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आम जनजीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, वहीं तमिलनाडु और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों में इसका सीमित या कोई खास असर नहीं देखा गया।
🔴 केरल में व्यापक असर, सड़कों पर सन्नाटा
केरल में वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को भारी समर्थन मिला। कोट्टायम, कोच्चि, और कोझिकोड जैसे प्रमुख शहरों में दुकानों, शॉपिंग मॉल्स और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने ताले डाल दिए। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा, परिवहन सेवाएं बंद रहीं, और यातायात पूरी तरह ठप रहा। कोच्चि में सुबह से ही मुख्य मार्ग खाली नजर आए, जबकि बंद समर्थकों ने कई जगहों पर प्रदर्शन किए।
🛑 बंगाल में प्रदर्शन और झड़पें, मिदनापुर से गिरफ्तारियां
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भारत बंद के दौरान वामपंथी यूनियनों और कोलकाता पुलिस के बीच तनातनी देखी गई। एक बस को रास्ता देने को लेकर सड़क जाम कर रहे कार्यकर्ताओं को जब पुलिस हटाने पहुंची, तो दोनों पक्षों के बीच तीखी जुबानी जंग और धक्का-मुक्की हुई। इसके अलावा मिदनापुर सेंट्रल बस स्टैंड पर प्रदर्शन कर रहे ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जब वे वाहन चालकों को बसें रोकने के लिए बाध्य कर रहे थे।
🚫 झारखंड में प्रदर्शन, रांची में CMPDI मुख्यालय के बाहर धरना
झारखंड की राजधानी रांची में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सीएमपीडीआई मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर निजीकरण, नए श्रम संहिता, और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जैसी मांगों को लेकर विरोध जताया।
✅ तमिलनाडु में बंद का असर नहीं, सेवाएं सामान्य
तमिलनाडु में भारत बंद का कोई खास असर नहीं देखा गया। तिरुप्पुर जिले में सभी 540 बसें सामान्य रूप से चलीं और बाजार व दफ्तरों में रोज़मर्रा की गतिविधियां सामान्य रहीं। कोयंबटूर में जरूर थोड़ी असुविधा दिखी, जहां केरल जाने वाली बसों को कुछ समय के लिए रोका गया, लेकिन राज्य के भीतर आवागमन सामान्य रहा।
🚌 कुरुक्षेत्र में आंशिक असर, रोडवेज सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का रोडवेज पर आंशिक असर पड़ा। सुबह करीब 7:30 बजे तक बस अड्डे से कुछ बसें यात्रियों को लेकर निकलती रहीं, जबकि अन्य रूटों के लिए पुलिस लाइन से दर्जनों बसें चलाई गईं। हालांकि हड़ताल के कारण सभी बसें नहीं चलाई जा सकीं, लेकिन प्रशासन ने बस सेवाओं को जारी रखने के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। डिपो महाप्रबंधक और अन्य अधिकारी यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए खुद मैदान में सक्रिय नजर आए।
🧾 हड़ताल के प्रमुख मुद्दे और मांगें
भारत बंद का नेतृत्व कर रहे 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, अखिल भारतीय क्षेत्रीय महासंघों, और विभिन्न एसोसिएशनों का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार नए श्रम संहिताएं, निजीकरण की नीतियां, और कॉर्पोरेट समर्थक फैसले श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करते हैं। उनकी मुख्य मांगों में शामिल हैं:
- न्यूनतम वेतन ₹26,000 मासिक
- पुरानी पेंशन योजना की बहाली
- निजीकरण की नीतियों पर रोक
- सभी असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा
- संविदाकर्मियों को स्थायी रोजगार
ट्रेड यूनियनों का दावा है कि देशभर के 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए हैं। भारत बंद 2025 ने एक बार फिर यह साबित किया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में राजनीतिक और सामाजिक धारणाएं कितनी भिन्न हैं। जहां केरल जैसे राज्य में इसे पूर्ण समर्थन मिला, वहीं अन्य राज्यों में जनजीवन सामान्य रहा। यह हड़ताल न केवल आर्थिक मुद्दों को उजागर करने का प्रयास थी, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी, कि श्रमिक वर्ग की चिंताओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता।