उत्तराखंड में बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर लगेगा ताला

देहरादून, 11 जुलाई 2025 – उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में बिना पंजीकरण संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर शिकंजा कसने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार अब ऐसे सभी केंद्रों को चिन्हित कर न केवल बंद करेगी, बल्कि उनके विरुद्ध मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम, 2017 के तहत जुर्माना एवं कानूनी कार्रवाई भी करेगी। यह निर्णय शुक्रवार को सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की बैठक में लिया गया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं और कार्ययोजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई।बैठक के दौरान प्रदेश में संचालित सभी नशा मुक्ति केंद्रों की वर्तमान स्थिति, पंजीकरण की स्थिति, उनके संचालन के मानकों तथा निरीक्षण की प्रक्रिया की समीक्षा की गई। स्वास्थ्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय निरीक्षण टीमों का गठन किया जाए जो नियमित रूप से नशा मुक्ति केंद्रों का निरीक्षण कर उनकी कार्यप्रणाली की गहन जांच करें।उन्होंने कहा कि प्रदेश को नशा मुक्त बनाने की दिशा में यह कदम मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है, और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या नियम उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में संचालित कोई भी नशा मुक्ति केंद्र बिना पंजीकरण और निर्धारित मानकों के अनुसार कार्य नहीं करेगा। यदि कोई केंद्र बिना वैध रजिस्ट्रेशन के संचालन करता पाया गया, तो उस पर तत्काल रोक लगाते हुए कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

135 नशा मुक्ति केंद्रों ने कराया है पंजीकरण, कई अभी भी संदिग्ध

स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक कुल 135 नशा मुक्ति केंद्रों ने मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम के तहत पंजीकरण कराया है। यह रजिस्ट्रेशन प्रारंभिक (provisional) है, जिसे एक वर्ष की अवधि के बाद स्थायी पंजीकरण में बदला जाएगा। हालांकि, विभाग को संदेह है कि राज्य में ऐसे कई नशा मुक्ति केंद्र अब भी संचालित हो रहे हैं जो पंजीकरण प्रक्रिया से बाहर हैं।इस आशंका को ध्यान में रखते हुए सरकार अब प्रदेशभर में ऐसे केंद्रों की निगरानी और मूल्यांकन की प्रक्रिया को तेज करेगी। इस कार्य के लिए गठित निरीक्षण टीमें हर जिले में सक्रिय रूप से नशा मुक्ति केंद्रों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेंगी और अनियमितता पाए जाने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।

मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में होगा विस्तार

राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की इस बैठक में राज्य की वर्तमान मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और गतिविधियों की समीक्षा की गई। साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु एक विस्तृत कार्य योजना भी प्रस्तुत की गई। बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों से अनुरोध किया कि वे प्रदेश को नशा मुक्त बनाने की मुहिम में सक्रिय सहयोग करें।स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा कि “जनजागरूकता ही नशा मुक्ति की सबसे प्रभावी औषधि है। जब तक जनता में इसके दुष्परिणामों के प्रति व्यापक जागरूकता नहीं फैलेगी, तब तक यह लड़ाई अधूरी रहेगी। इसके लिए राज्य स्तर से लेकर ग्राम पंचायत तक, हर स्तर पर विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।”

गुणवत्ता से नहीं होगा कोई समझौता

डॉ. राजेश कुमार ने दोहराया कि नशा मुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। प्रदेश सरकार इस दिशा में पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है और इसमें लापरवाही बरतने वाले किसी भी निजी संस्था या संचालक को बख्शा नहीं जाएगा।बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शिखा जंगपांगी, संयुक्त निदेशक डॉ. सुमित बरमन, सहायक निदेशक डॉ. पंकज सिंह सहित राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं समिति के अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।इस निर्णय के लागू होते ही अब राज्य में नशा मुक्ति केंद्रों के नाम पर चल रहे अवैध संचालन पर लगाम लगेगी और एक सुदृढ़, पारदर्शी तथा गुणवत्ता आधारित मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण संभव होगा।

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