
नई दिल्ली, 12 जुलाई 2025 — भारत के लिए एक और ऐतिहासिक क्षण की घड़ी करीब है। अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जल्द ही धरती पर लौटने वाले हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पुष्टि की है कि शुभांशु 14 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से वापसी की प्रक्रिया शुरू करेंगे, और अगले दिन यानी 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3 बजे (IST) अमेरिका के कैलिफोर्निया तट पर सफल लैंडिंग करेंगे।यह मिशन Axiom Space के Axiom-04 कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसमें शुभांशु समेत चार अंतरिक्ष यात्री शामिल थे। उन्होंने SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से ISS की यात्रा की थी। अब यही स्पेसक्राफ्ट उन्हें सुरक्षित धरती पर वापस लाएगा।
इतिहास रचने वाला मिशन
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने 14 दिनों के इस अंतरिक्ष मिशन के दौरान न केवल वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग में भारत की सक्रिय भूमिका को भी दर्शाया।सबसे खास बात यह रही कि शुभांशु शुक्ला ISS में जाने वाले पहले भारतीय बने। इससे पहले, भारत के सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा (1984) ने अंतरिक्ष यात्रा की थी, लेकिन वह ISS नहीं बल्कि रूस के सोयुज़ मिशन के तहत गए थे। शुभांशु अब इतिहास के उन गिने-चुने भारतीयों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने पृथ्वी की कक्षा से परे जाकर मानवता के लिए काम किया है।
कैलिफोर्निया तट पर होगी लैंडिंग
ISRO द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय समयानुसार 14 जुलाई को ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉक करेगा। इसके 24 घंटे के भीतर, यानी 15 जुलाई की दोपहर 3 बजे (भारतीय समयानुसार) शुभांशु समेत बाकी तीन अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी कैलिफोर्निया के पास समुद्र में होगी, जहाँ US SpaceX की टीम उन्हें रिसीव करेगी।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया अध्याय
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा भारत की निजी अंतरिक्ष कंपनियों और ISRO के सहयोगात्मक युग की शुरुआत को दर्शाती है। यह मिशन भारत के युवाओं और विज्ञान प्रेमियों के लिए प्रेरणा है। इसने यह सिद्ध किया है कि भारतीय वैज्ञानिक अब वैश्विक मंच पर पहले से कहीं अधिक सशक्त और भागीदार बन चुके हैं।
ISRO और AXIOM की संयुक्त उपलब्धि
Axiom-04 मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्रियों ने जीवविज्ञान, भौतिकी, माइक्रोग्रैविटी में सेल व्यवहार जैसे विषयों पर प्रयोग किए। इस दौरान शुभांशु ने कुछ भारतीय अनुसंधान प्रयोग भी किए, जिनके डेटा का विश्लेषण ISRO और भारतीय वैज्ञानिक संस्थान मिलकर करेंगे।
निष्कर्ष: भारत के लिए गौरव का क्षण
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है। उनकी सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगी और यह सिद्ध करती है कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में केवल दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय और प्रभावशाली प्रतिभागी है।