
देहरादून/गैरसैंण, 12 जुलाई 2025 — उत्तराखंड सरकार ने राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में 19 से 22 अगस्त तक विधानसभा का मानसून सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अनुमति के बाद विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव धनंजय चतुर्वेदी ने इस आशय के आदेश जारी किए हैं।प्रदेश मंत्रिमंडल ने मानसून सत्र की तिथि और स्थान निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया था। मुख्यमंत्री की स्वीकृति के पश्चात शासन द्वारा इसकी घोषणा कर दी गई है। अब राज्यपाल की अनुमति के बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी।
450 से अधिक प्रश्नों के साथ मानसून सत्र की तैयारी जोरों पर
इस चार दिवसीय मानसून सत्र को लेकर विधायकों में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। विधानसभा सचिवालय के अनुसार, सत्र के लिए अब तक 450 से अधिक प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं। ये प्रश्न विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली, विकास योजनाओं, बजट व्यय, जनता से जुड़े मुद्दों तथा शासन की जवाबदेही से जुड़े पहलुओं पर केंद्रित हैं।
डिजिटाइजेशन व पेपरलेस सत्र की दिशा में ऐतिहासिक प्रयास
इस बार मानसून सत्र को विशेष बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है — सत्र को पूरी तरह पेपरलेस बनाने की तैयारी। विधानसभा भवन में ई-विधान एप्लीकेशन प्रोजेक्ट (e-Vidhan Application – e-NEVA) के तहत डिजिटाइजेशन का कार्य अंतिम चरण में है।विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने जानकारी दी कि “हमारा प्रयास है कि मानसून सत्र से भराड़ीसैंण विधानसभा में कार्यवाही ई-विधान प्रणाली के अंतर्गत पेपरलेस रूप में संचालित हो। इसके लिए सभा मंडप में डिजिटाइजेशन के साथ-साथ साउंड प्रूफिंग का कार्य भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है, जो आगामी 10 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।”
भराड़ीसैंण को मिलेगी डिजिटल विधानसभा की पहचान
बता दें कि ई-नेवा परियोजना के पहले चरण में देहरादून स्थित विधानसभा को पेपरलेस बनाया गया था। अब दूसरे चरण में भराड़ीसैंण विधानसभा भवन को पूर्ण रूप से डिजिटल व पेपरलेस बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाने वाला है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विधानसभा सचिवालय की तैयारियाँ पूर्ण गति पर
विधानसभा सचिवालय ने भराड़ीसैंण में मानसून सत्र को लेकर सभी तैयारियाँ प्रारंभ कर दी हैं। सत्र के दौरान विधायकों को टैबलेट्स व डिजिटल एक्सेस उपलब्ध कराने, उच्च गुणवत्ता वाली ऑडियो-विजुअल प्रणाली स्थापित करने और सभा कक्ष की संपूर्ण व्यवस्था को डिजिटली सुचारु रूप से संचालित करने की योजना तैयार कर ली गई है।साथ ही, गैरसैंण में ठहरने, भोजन, परिवहन एवं नेटवर्क कनेक्टिविटी की व्यवस्थाओं को भी सुदृढ़ किया जा रहा है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि समयबद्ध ढंग से सभी कार्य पूरे करें, ताकि सत्र का संचालन निर्बाध रूप से हो सके।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड विधानसभा का यह मानसून सत्र केवल एक विधायी प्रक्रिया भर नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति की ओर बड़ा कदम है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को सक्रिय विधायी केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में यह सत्र मील का पत्थर साबित हो सकता है। अब सभी की निगाहें 19 अगस्त से शुरू होने वाले इस ऐतिहासिक सत्र पर टिकी हैं, जो पारंपरिक कार्यप्रणाली से हटकर उत्तराखंड की विधानसभा को आधुनिक और पर्यावरण-संवेदनशील दिशा में ले जाने का प्रयास करेगा।