
उत्तराखंड के टिहरी जनपद स्थित देवप्रयाग में एक बार फिर प्रकृति ने रौद्र रूप दिखाया। बाहा बाजार क्षेत्र में स्थित नृसिंहगाचल पर्वत का एक बड़ा हिस्सा अचानक दरक गया, जिससे भारी भरकम बोल्डर और मलबा तेजी से नीचे लुढ़कते हुए रिहायशी इलाके में जा गिरे। इस भयावह भूस्खलन में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए और एक व्यक्ति घायल हो गया।घटना रविवार को सुबह की है, जब बहा बाजार क्षेत्र में अचानक जोरदार आवाजें सुनाई दीं और लोग घरों से बाहर भागे। स्थानीय निवासियों ने देखा कि नृसिंहगाचल पर्वत का एक हिस्सा टूटकर नीचे गिर रहा है। इस दौरान कई टन वजनी बोल्डर तेजी से नीचे लुढ़कते हुए नगर क्षेत्र में आ गिरे।इन बोल्डरों की चपेट में आकर विपिन चंद्र मिश्रा, भगवती प्रसाद मिश्रा और पनीलाल के मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। दुर्भाग्यवश, हादसे के समय पनीलाल घर के अंदर ही मौजूद थे, जिससे वे बोल्डर के नीचे आकर गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस और प्रशासन को जैसे ही सूचना मिली, तत्काल राहत और बचाव टीम मौके पर पहुंची और मलबे से पनीलाल को निकालकर अस्पताल भेजा गया।
वाहनों और बिजली व्यवस्था को भी नुकसान
इस भयावह भूस्खलन में दो मोटरसाइकिलें और एक पिकअप वाहन बोल्डरों के नीचे दबकर क्षतिग्रस्त हो गए। साथ ही कई बिजली के खंभे भी टूट गए, जिससे क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है। इससे न सिर्फ जनजीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि राहत कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।
2010 की त्रासदी की याद ताजा
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब नृसिंहगाचल पर्वत से इस तरह भारी बोल्डर गिरे हों। साल 2010 में भी इसी स्थान पर एक बड़ी भूस्खलन की घटना हुई थी, जिसने कई घरों को नुकसान पहुंचाया था। अब एक बार फिर ऐसी घटना घटने से लोगों में भय और चिंता का माहौल बन गया है।बार-बार होने वाली इस तरह की घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह क्षेत्र भूस्खलन के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार हो रही बारिश, कमजोर पर्वतीय संरचना और अनियोजित निर्माण कार्य ऐसे हादसों के प्रमुख कारण हैं।
क्या है आगे की योजना?
प्रशासन ने क्षेत्र में भूस्खलन की नियमित निगरानी शुरू कर दी है और भूवैज्ञानिकों की टीम को बुलाने की प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है, ताकि पर्वत की स्थिति का वैज्ञानिक विश्लेषण कर भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों से अपील की गई है कि वे पहाड़ी ढलानों के पास न रहें और अनावश्यक रूप से मलबा प्रभावित क्षेत्रों में न जाएं। प्रशासन राहत सामग्री और आवश्यक मदद पहुंचाने के लिए शिविर भी लगा रहा है। देवप्रयाग की यह घटना एक बार फिर यह चेतावनी देती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति गंभीरता से तैयारी और सतर्कता की आवश्यकता है। नृसिंहगाचल पर्वत का बार-बार दरकना यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में स्थायी भूगर्भीय समाधान और दीर्घकालिक योजना की जरूरत है, जिससे लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।