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"दीपिका के पक्ष में उतरीं प्रीति: बोलीं– क्या पुरुषों की डिमांड पर कोई सवाल उठाता है?" - The Indian Exposure

“दीपिका के पक्ष में उतरीं प्रीति: बोलीं– क्या पुरुषों की डिमांड पर कोई सवाल उठाता है?”

बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘स्पिरिट’ से रिप्लेसमेंट को लेकर हाल ही में उठे विवाद ने फिल्म इंडस्ट्री में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों को लेकर बड़ी बहस छेड़ दी है। दीपिका ने हाल ही में एक प्रोजेक्ट में 8 घंटे की शूटिंग शिफ्ट की मांग रखी थी, जिसके बाद उन्हें फिल्म से बाहर कर दिया गया। इस मुद्दे पर जहां कुछ लोगों ने इसे ‘गैर-पेशेवर’ करार दिया, वहीं अब कई सेलेब्रिटीज उनके समर्थन में सामने आए हैं। इन्हीं में से एक हैं अभिनेत्री और बिजनेसवुमन प्रीति झंगियानी, जिन्होंने दीपिका का खुलकर समर्थन किया है और इस बहस को महिला कलाकारों की पेशेवर आज़ादी से जोड़ा है।


दीपिका की शिफ्ट डिमांड: एक मां की जिम्मेदारी

दीपिका पादुकोण ने फिल्म ‘स्पिरिट’ के सेट पर 8 घंटे की वर्क शिफ्ट की मांग इसलिए रखी थी ताकि वे अपनी नवजात बेटी दुआ के साथ पर्याप्त समय बिता सकें। लेकिन उनकी यह मांग निर्माता-निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा को रास नहीं आई और उन्होंने दीपिका को फिल्म से बाहर कर दिया। उनकी जगह अभिनेत्री तृप्ति डिमरी को लिया गया। बाद में संदीप रेड्डी ने सोशल मीडिया पर दीपिका के खिलाफ एक विवादित पोस्ट भी किया, जिसके बाद मामला और तूल पकड़ गया।


प्रीति झंगियानी का दो टूक बयान

इस विवाद पर अपनी राय रखते हुए प्रीति झंगियानी ने ‘अमर उजाला डिजिटल’ से बातचीत में कहा:“मुझे नहीं लगता कि आठ घंटे की शिफ्ट की मांग करना कुछ गलत है। खासकर जब कोई नई मां हो, तब तो यह एक बहुत ही जायज और समझदारी भरी मांग है। दुनिया भर में 8 घंटे की शिफ्ट स्टैंडर्ड मानी जाती है।”उन्होंने आगे कहा कि पुरुष कलाकार जब शूटिंग टाइम को लेकर डिमांड करते हैं, जैसे शाम 6 बजे के बाद काम न करना या जल्दी पैकअप मांगना, तब किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। लेकिन जैसे ही कोई महिला कलाकार अपनी ज़िम्मेदारियों के कारण सीमित समय में काम करने की बात करती है, उस पर सवाल उठाए जाते हैं। यह दोहरा मापदंड है।


“हर किसी को हालात के अनुसार काम करने का हक है”

प्रीति ने यह भी कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब किसी अभिनेत्री ने निजी कारणों से कोई प्रोजेक्ट छोड़ दिया या समय नहीं दे पाईं, लेकिन उस पर इतनी बड़ी बहस नहीं हुई। उन्होंने जोर देकर कहा:“हर किसी को अपने हालात के अनुसार काम करने का हक होना चाहिए। हर प्रोजेक्ट की जरूरतें अलग होती हैं। बातचीत आपसी समझ और सम्मान से होनी चाहिए, ना कि जजमेंट से। दीपिका की बात बहुत सही है और ये बहस ही दिखाती है कि हमें वर्कप्लेस पर महिला कलाकारों के प्रति समझ बढ़ानी चाहिए।”


प्रीति का वर्कफ्रंट और सामाजिक योगदान

अभिनय की दुनिया से जुड़ी प्रीति जल्द ही फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ में नजर आएंगी, जिसमें वह एक पत्रकार अंजना सिंह की भूमिका निभा रही हैं। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है और इसकी रिलीज से पहले ही चर्चा का विषय बन चुकी है।इसके अलावा प्रीति अपनी स्पोर्ट्स लीग ‘प्रो पंगा लीग सीजन 2’ को लेकर भी व्यस्त हैं। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो गांवों के खिलाड़ियों, महिलाओं, और पैरा एथलीट्स को स्पॉटलाइट में लाने का काम करता है। इस पहल के माध्यम से प्रीति ग्रामीण प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच देने का प्रयास कर रही हैं।


निष्कर्ष: बहस नहीं, बदलाव चाहिए

दीपिका पादुकोण की शिफ्ट डिमांड पर उठे विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों की मांगों को लेकर दोहरे मापदंड आज भी मौजूद हैं। प्रीति झंगियानी का यह बयान न केवल दीपिका के लिए समर्थन है, बल्कि सभी उन महिलाओं की आवाज़ है जो अपने प्रोफेशनल और पर्सनल जीवन में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। वक्त आ गया है कि फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ ग्लैमर नहीं, बल्कि समझदारी और संवेदनशीलता का भी उदाहरण बने।

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