
अभी हाल ही में रिलीज हुई लोकप्रिय वेब सीरीज ‘पंचायत सीजन 4’ में ग्राम प्रधान मंजू देवी के किरदार में नज़र आईं दिग्गज अभिनेत्री नीना गुप्ता ने एक बार फिर अपनी दमदार अभिनय क्षमता से दर्शकों का दिल जीत लिया है। सीरीज में वह जिस तरह से गांव की सियासत में कदम रखती हैं, रणनीति बनाती हैं, विरोधियों को साधने के प्रयास करती हैं और जनता को मुफ़्त समोसे खिलाकर वोट बटोरने की कोशिश करती हैं, वह दर्शकों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ सोचने का विषय भी बन गया।लेकिन इस ऑनस्क्रीन राजनीति के उलट, रीयल लाइफ में नीना गुप्ता ने इंडस्ट्री की अंदरूनी राजनीति से तौबा कर ली है।
“एक्टर यूनियन क्यों नहीं बन सकती? नीना ने दी सटीक वजह”
नीना गुप्ता ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि वह कभी भी फिल्म या टीवी इंडस्ट्री में होने वाले किसी भी प्रकार के चुनाव या पॉलिटिकल सेटअप का हिस्सा नहीं बनना चाहेंगी। उन्होंने दो टूक कहा:“अगर कभी इंडस्ट्री में कोई यूनियन का चुनाव हुआ, तो मैं उसमें खड़ी ही नहीं होऊंगी। यहां कोई किसी की सफलता नहीं देख सकता। कलाकारों के बीच एकता की बेहद कमी है।”उनका मानना है कि इंडस्ट्री में आपसी जलन और प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा है कि वहां पर सच्चे सहयोग या समर्थन की उम्मीद करना मुश्किल है। यही कारण है कि बॉलीवुड में कोई सशक्त कलाकार यूनियन आज तक नहीं बन पाई।
“दूसरों के हिसाब से चलने पर बहुत बार गिरी” – नीना गुप्ता
नीना गुप्ता ने अपनी व्यक्तिगत यात्रा को भी खुलकर साझा किया। उन्होंने कहा कि अभिनय की दुनिया में शुरुआती दौर में उन्होंने कई बार दूसरों के कहने पर फैसले लिए, जिसके चलते उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ा।“कई बार ऐसा हुआ कि किसी ने कहा – तुम्हें अपने हिसाब से नहीं, इंडस्ट्री के नियमों से चलना चाहिए। मैं मानी, और बहुत बार गिरी। फिर जब खुद उठने की बारी आई, तो समझ आया कि निर्णय खुद लेने होंगे।”उनका कहना है कि जब आप बार-बार गिरते हैं, तो एक समय आता है जब आपको एहसास होता है कि अब खुद के फैसलों की ज़रूरत है, क्योंकि कोई और आपको उठाने नहीं आएगा।
“पंचायत में मंजू देवी की तरह, असल जीवन में भी लिया कमान अपने हाथ”
‘पंचायत 4’ में मंजू देवी का किरदार एक ऐसी महिला का है जो पहले अपने पति बृजभूषण दुबे के फैसलों पर सिर्फ हस्ताक्षर करती थी, लेकिन समय के साथ वह खुद निर्णय लेने लगती है और सचिव जी के साथ मिलकर अपने राजनीतिक कौशल का उपयोग करती है। नीना बताती हैं कि यह किरदार उनके जीवन से काफी मिलता-जुलता है।“मैंने भी अपने जीवन में एक वक्त पर महसूस किया कि अब किसी और के कहे पर नहीं, बल्कि अपनी सोच और आत्मबल से चलना होगा।”
आत्मनिर्भरता और अनुभव की मिसाल बनीं नीना
नीना गुप्ता का यह बयान न केवल उनके अनुभव को दर्शाता है, बल्कि बॉलीवुड और इंडस्ट्री में मौजूद आंतरिक प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या और राजनीति को भी बेनकाब करता है। उन्होंने साबित किया है कि अगर आत्मबल और इच्छाशक्ति हो, तो इंसान अपने फैसले खुद ले सकता है और सफल भी हो सकता है।आज नीना गुप्ता सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं और कलाकारों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो जीवन में कहीं न कहीं दूसरों की सोच के चलते अपने सपनों से समझौता कर चुके हैं।