
नई दिल्ली। यमन में फांसी की सजा का सामना कर रहीं भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया के मामले पर भारत सरकार ने एक बार फिर सक्रियता दिखाई है। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संवेदनशील मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार निमिषा प्रिया को हरसंभव कानूनी और राजनयिक सहायता प्रदान कर रही है, ताकि उनकी सजा को रोका जा सके और इस मामले का कोई सकारात्मक समाधान निकल सके।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया, “भारत सरकार ने निमिषा प्रिया के लिए कानूनी मदद सुनिश्चित की है। उनके परिवार को सहयोग देने के लिए एक वकील की भी नियुक्ति की गई है। हम यमन के स्थानीय अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं और परिवार के साथ भी नियमित समन्वय बनाए हुए हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने यह भी कोशिश की है कि पीड़ित पक्ष को अधिक समय दिया जाए, ताकि दोनों पक्षों के बीच कोई आपसी सहमति या सुलह का रास्ता निकल सके।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है और भविष्य में भी कानूनी, मानवीय और कूटनीतिक हर दिशा में प्रयास जारी रखेगी। इसके अतिरिक्त विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत सरकार इस विषय पर कुछ मित्र देशों के संपर्क में भी है, जो इस संकट के समाधान में सहायक हो सकते हैं।
नाटो प्रमुख के बयान पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय की इस ब्रीफिंग के दौरान एक अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर भी भारत ने अपना रुख स्पष्ट किया। नाटो महासचिव मार्क रुटे ने हाल ही में कहा था कि जो देश रूस से तेल खरीदते हैं, उन्हें भविष्य में सेकेंडरी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
रणधीर जायसवाल ने इस पर कहा, “हमने इस विषय में आई रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया है और पूरी स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत के नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।” उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक हालात और बाजार की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेता है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि इस मामले में कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए। भारत की तेल नीति स्वतंत्र और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। वर्तमान में भारत, रूस से तेल खरीदता रहा है, चाहे वह पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद ही क्यों न हो। नाटो प्रमुख के इस बयान से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है, लेकिन भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है—राष्ट्रहित सर्वोपरि।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर भी जारी है चर्चा
विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग में भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर भी सवाल उठे, जिस पर जवाब देते हुए रणधीर जायसवाल ने कहा, “यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। जैसे ही कोई निर्णय अंतिम रूप लेता है, हम उसे सार्वजनिक करेंगे।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को नई दिशा देने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
अमेरिका से भारत भेजे गए 1563 भारतीय नागरिक
ब्रीफिंग के अंत में एक महत्वपूर्ण तथ्य साझा करते हुए विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस वर्ष 20 जनवरी से लेकर अब तक 1563 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से भारत वापस भेजा गया है। मंत्रालय ने बताया कि इनमें से अधिकांश भारतीय व्यावसायिक उड़ानों से लौटे हैं।
यह आंकड़ा दर्शाता है कि विदेश मंत्रालय प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर भी गंभीरता से काम कर रहा है और उनकी वापसी, पुनर्वास और संरक्षण को लेकर सक्रिय है।
निष्कर्ष
निमिषा प्रिया का मामला हो, रूस से तेल की खरीद या अमेरिका के साथ व्यापार संबंध—भारत सरकार हर स्तर पर राष्ट्रीय हितों, नागरिकों की सुरक्षा और ऊर्जा आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे रही है। विदेश मंत्रालय की हालिया ब्रीफिंग इस बात का प्रमाण है कि भारत अपने नागरिकों और रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए राजनयिक, कानूनी और कूटनीतिक हर मोर्चे पर सजग और सक्रिय है।