
भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए यह बड़ा कदम उठाया है। उनके इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि वे न केवल एक संवैधानिक पद पर थे, बल्कि सत्तारूढ़ दल भाजपा के प्रभावशाली नेताओं में भी गिने जाते रहे हैं।
धनखड़ को छह अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था, जहाँ उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर भारी मतों से जीत दर्ज की थी। उनके इस्तीफे को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही आश्चर्यचकित हैं।
कानूनी दुनिया से सियासत के शिखर तक
धनखड़ की यात्रा बेहद संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक रही है। वे एक प्रसिद्ध वकील रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट में उन्होंने लंबी वकालत की है। इसके अलावा, वे राजस्थान बार काउंसिल के चेयरमैन भी रह चुके हैं। वकालत के साथ-साथ उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत जनता दल से हुई थी। 1989 में वे झुंझुनू से सांसद बने और उसी कार्यकाल में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया।
जब 1991 में जनता दल ने उनका टिकट काटा, तो वे कांग्रेस में शामिल हो गए और 1993 में अजमेर के किशनगढ़ से विधायक भी बने। वर्ष 2003 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली, जहां से उनका राजनीतिक करियर नई ऊंचाइयों तक पहुंचा।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में विवादों में रहे
30 जुलाई 2019 को उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पश्चिम बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान वे कई बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ टकरावों के कारण चर्चा में रहे। उनका राज्यपाल काल बेहद सक्रिय और मुखर रहा।
बचपन और शिक्षा
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ। पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है। वे चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई, फिर गरधाना और बाद में चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने भौतिकी में स्नातक और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की।
धनखड़ का चयन आईआईटी और एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन उन्होंने वकालत का रास्ता चुना। वे IAS परीक्षा पास कर चुके थे, फिर भी उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने के बजाय कानून को करियर बनाया।
व्यक्तिगत जीवन और रुचियां
धनखड़ की पत्नी का नाम डॉ. सुदेश धनखड़ है। उन्हें संगीत सुनना और यात्रा करना पसंद है। उन्होंने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, हांगकांग और सिंगापुर जैसे कई देशों की यात्राएं की हैं। वे खेलों में भी गहरी रुचि रखते हैं और राजस्थान ओलंपिक संघ और टेनिस संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
धनखड़ का सफर एक ग्रामीण बालक से देश के उपराष्ट्रपति तक का एक जीवंत उदाहरण है कि कड़ी मेहनत, शिक्षा और सच्चे इरादे से कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंच सकता है।