
हिमाचल प्रदेश में मानसून ने एक बार फिर कहर बरपा दिया है। प्रदेश के कई जिलों में भारी वर्षा और भूस्खलन के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। खासतौर पर कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिलों में भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी ऑरेंज अलर्ट के बीच मूसलधार बारिश देखने को मिली है। इस बारिश ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि प्रदेश की परिवहन व्यवस्था को भी पूरी तरह ठप कर दिया है।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार, प्रदेश में कुल 435 सड़कें बंद हो गई हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) भी शामिल हैं। सिरमौर जिले में एनएच-707, मंडी में एनएच-02, और किन्नौर में एक अन्य एनएच भारी भूस्खलन और जलभराव के कारण यातायात के लिए पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। इनके अलावा अन्य 432 संपर्क मार्ग भी प्रभावित हुए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क मुख्य शहरों से टूट गया है।
कई स्थानों पर भूस्खलन के चलते पहाड़ों से चट्टानें और मलबा सड़कों पर आ गया है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में भी बाधा आ रही है। कुछ क्षेत्रों में अचानक बाढ़ (Flash Flood) की चेतावनी भी जारी की गई है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
मौसम विभाग ने 23 जुलाई को भी भारी वर्षा का अनुमान जताया है। लगातार बारिश से नदियों और नालों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। सरकार और जिला प्रशासन की टीमें स्थिति को नियंत्रित करने और बंद सड़कों को खोलने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन तेज बारिश इन प्रयासों को चुनौती दे रही है।
पर्यटकों को पहाड़ी इलाकों में यात्रा न करने की सख्त हिदायत दी गई है और स्थानीय नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
हिमाचल प्रदेश इस वक्त एक भीषण प्राकृतिक आपदा के दौर से गुजर रहा है, और राज्य सरकार इसे आपात स्थिति की तरह हैंडल कर रही है।