
उत्तराखंड में भारी बारिश का सिलसिला एक बार फिर कहर बनकर टूटा है। विशेष रूप से चारधाम यात्रा के प्रमुख मार्ग यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे पर भूस्खलन और मलबा आने से रास्ते कई स्थानों पर अवरुद्ध हो गए हैं। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर रानाचट्टी, स्यानाचट्टी और पाली गाड़ के पास भारी मलबा गिरने से मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। वहीं, गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डबरानी के पास मलबा और पत्थरों के ढेर से बाधित हो गया है। दोनों हाईवे पर वाहनों की आवाजाही ठप हो चुकी है और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संबंधित विभागों द्वारा हाईवे को सुचारु करने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन भारी बारिश और दुर्गम इलाकों में लगातार गिरते मलबे के कारण राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
प्रदेशभर में बारिश से हालात बेहद चिंताजनक बने हुए हैं। तवाघाट-घटियाबगड़-लिपुलेख राष्ट्रीय राजमार्ग समेत उत्तराखंड में कुल 59 सड़कें फिलहाल अवरुद्ध हैं। इनमें से 36 सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जिससे स्थानीय निवासियों की रोजमर्रा की ज़िंदगी पर भी गहरा असर पड़ा है। अकेले पिथौरागढ़ जिले की बात करें तो यहां की तवाघाट-घटियाबगड़-लिपुलेख और धारचूला-तवाघाट सड़क पर बड़े-बड़े पत्थर और मलबा आने से रास्ते पूरी तरह बंद हैं। जौलजीबी-मुनस्यारी मोटर मार्ग पर भी चार स्थानों पर मलबा और पत्थर गिरने की खबरें हैं। थल-मुनस्यारी मार्ग भी मलबे से बाधित है। पिथौरागढ़ जिले में कुल 19 सड़कें बंद पड़ी हैं।
इसके अलावा देहरादून जिले में पांच, अल्मोड़ा में एक, बागेश्वर में चार, चमोली में आठ, नैनीताल में एक, पौड़ी में पांच, रुद्रप्रयाग में चार, टिहरी में एक और उत्तरकाशी में 11 सड़कें बंद हैं। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है।
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों के लिए भी राहत की कोई उम्मीद नहीं जताई है। मौसम विज्ञान केंद्र ने विशेष रूप से नैनीताल, चंपावत और बागेश्वर जिलों में भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। अन्य जिलों में भी तेज बारिश की संभावना बनी हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक रोहित थपलियाल के अनुसार, 5 अगस्त तक प्रदेशभर में तेज दौर की बारिश का सिलसिला जारी रहेगा, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में। इस दौरान भूस्खलन, सड़कें बाधित होने और जलभराव जैसी समस्याएं और अधिक बढ़ सकती हैं। उन्होंने आम नागरिकों से अपील की है कि अनावश्यक रूप से पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा से फिलहाल बचें।
प्राकृतिक आपदा जैसी बनती इस स्थिति को देखते हुए, प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर हैं, लेकिन भारी बारिश और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी भू-भाग के चलते राहत और बचाव कार्यों में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।