
भारतीय सेना को लेकर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि अगर आप एक सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसे गैर-ज़िम्मेदाराना बयान नहीं देंगे। न्यायालय ने राहुल गांधी से यह भी पूछा कि उन्हें कैसे पता चला कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है?
कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ और जिम्मेदार नेता को अपनी बात संसद में रखनी चाहिए, न कि सोशल मीडिया जैसे सार्वजनिक मंचों पर इस तरह के विवादित बयान देने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यह भी नसीहत दी कि विपक्ष के नेता होने के नाते उनकी भूमिका बेहद अहम है और उन्हें संयम और सतर्कता से सार्वजनिक वक्तव्य देने चाहिए।
यह मामला भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना को लेकर की गई कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि “सेना को पीटा जा रहा है और चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है।” इस पर उत्तर प्रदेश के एक जिले की अदालत ने उनके खिलाफ समन जारी किया था, जिसे राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने राहुल गांधी को अंतरिम राहत देते हुए निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक शीर्ष अदालत इस मामले की अगली सुनवाई नहीं करती।
सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना और अंतरराष्ट्रीय मसलों जैसे गंभीर मुद्दों पर बयानबाज़ी करते वक्त नेताओं को विशेष सावधानी बरतनी होगी। अदालत का कहना था कि भले ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह अधिकार अनुशासन और जिम्मेदारी के दायरे में ही प्रयोग होना चाहिए।