17 हज़ार करोड़ के घोटाले में नया मोड़: अनिल अंबानी के केस में अब बैंक अधिकारियों से पूछताछ करेगी ED

अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी 17,000 करोड़ रुपये के कथित लोन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच की रफ्तार तेज कर दी है। अब यह मामला सिर्फ कॉर्पोरेट फ्रॉड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बैंकों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। ईडी ने इस मामले में 12 से अधिक प्रमुख बैंकों के प्रबंधन को नोटिस भेजकर विस्तृत जानकारी मांगी है, जिससे ये स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि जांच का दायरा अब और भी व्यापक होगा।

बैंकों से मांगी गई विस्तृत जानकारी

सूत्रों के मुताबिक, जिन बैंकों को नोटिस भेजे गए हैं, उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक जैसे देश के प्रमुख बैंक शामिल हैं। ईडी ने इन बैंकों से पूछा है कि उन्होंने किस प्रक्रिया के तहत रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को लोन दिया, किस समय पर लोन एनपीए (NPA) घोषित हुआ, और रिकवरी के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

अगर बैंकों द्वारा भेजे गए जवाब संतोषजनक नहीं हुए, तो संबंधित बैंक अधिकारियों को ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। इससे पहले शुक्रवार को ईडी ने अनिल अंबानी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया और उन्हें 5 अगस्त को पूछताछ के लिए समन भेजा है।

किन कंपनियों से जुड़ा है मामला

जांच का केंद्र बिंदु रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस, रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस जैसी कंपनियों को दिए गए लोन हैं, जिनमें भारी अनियमितताओं की बात सामने आई है। ईडी ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम से जुड़े कानून (PMLA) के तहत मुंबई में अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी लगभग 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के खिलाफ 35 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी।

फर्जी गारंटी और जाली डोमेन का खेल

जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ है कि रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड और महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड जैसी कंपनियों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी दी थी। यह गारंटी असली दिखे, इसके लिए एक जाली ईमेल डोमेन “s-bi.co.in” का इस्तेमाल किया गया, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के असली डोमेन “sbi.co.in” से मिलता-जुलता था।

ईडी ने इस फर्जी डोमेन के पीछे की सच्चाई जानने के लिए नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) से इसकी रजिस्ट्रेशन डिटेल भी मांगी है। इससे यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि एक सुनियोजित साइबर फ्रॉड की साजिश के तहत बैंकिंग प्रणाली को गुमराह किया गया।

क्या बैंकों की भूमिका पर उठेगा सवाल?

ईडी अब यह भी जांच कर रही है कि कहीं यह घोटाला केवल कॉर्पोरेट फ्रॉड नहीं, बल्कि इसमें कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी तो नहीं है। जांच में यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि बैंकों ने लोन स्वीकृति में आवश्यक सतर्कता क्यों नहीं बरती, और समय रहते लोन की वसूली के लिए क्या कदम उठाए गए।

निष्कर्ष

अनिल अंबानी की कंपनियों पर पहले भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, लेकिन इस बार ईडी की जांच और कार्रवाई कहीं अधिक गहराई में जा रही है। आने वाले समय में इस मामले से जुड़े कई बड़े नाम और खुलासे सामने आ सकते हैं। अगर जांच में बैंकों की लापरवाही या मिलीभगत साबित होती है, तो देश के बैंकिंग सिस्टम की साख पर भी गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।

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