तबाही के बीच उम्मीद की चिंगारी: उत्तरकाशी में फटे बादल, सेना बनी जीवन रक्षक

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने की भीषण त्रासदी के बाद हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है, बल्कि समूचे इलाके को मलबे और तबाही में तब्दील कर दिया है। लेकिन इस भयंकर आपदा के बीच एकमात्र उम्मीद बनकर सामने आई है – हमारी सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और राहत एवं बचाव दलों की सतर्क और साहसी टीमें। धराली गांव में बादल फटने के बाद चारों ओर चीख-पुकार, मलबा और बर्बादी का मंजर है। गांव के संपर्क के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं, लेकिन सेना और आईटीबीपी के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया है। राहत अभियान में सेना की पूरी ताकत झोंक दी गई है। सबसे बड़ा संकट है धराली गांव में फंसे लगभग 200 ग्रामीणों तक पहुंचने का, जो करीब 25 फीट ऊंचे मलबे से घिरे हुए हैं। इन तक राहत सामग्री पहुंचाने और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए आईटीबीपी और आर्मी के जवान अस्थाई पुल और रास्ता तैयार करने में जुटे हैं।मौके पर आईटीबीपी और सेना की टीमें राहत कार्यों को तेजी से अंजाम दे रही हैं। हर्षिल और धराली के बीच ड्रोन, खोजी कुत्ते और खुदाई करने वाली मशीनें तैनात कर दी गई हैं, ताकि मलबे में फंसे लोगों को समय रहते बचाया जा सके। इस भयावह मंजर में एक 32 वर्षीय युवक का शव मलबे से बरामद किया गया है। सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन को युद्ध स्तर पर शुरू कर रखा है।                                                                                                                                                    

 गंगोत्री हाईवे की स्थिति ने राहत कार्यों में गंभीर बाधा उत्पन्न की है। सड़कें टूट चुकी हैं और जगह-जगह जाम की स्थिति है, जिससे राहत टीमों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऋषिकेश से उत्तरकाशी तक का हाईवे बुरी तरह प्रभावित है, जिससे आवश्यक उपकरण और टीमें समय पर मौके पर नहीं पहुंच पा रही हैं। देहरादून में एयरलिफ्ट ऑपरेशन के लिए हेलिकॉप्टर और विशेष टीमें standby पर हैं।एनडीआरएफ के डीआईजी मोहसिन शाहेदी के अनुसार, अभी तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं। हर्षिल और सुखी टॉप में अचानक बाढ़ आने की सूचना ने हालात को और अधिक गंभीर बना दिया है। हर्षिल क्षेत्र से सेना के लगभग 11 जवान भी लापता बताए जा रहे हैं। हालांकि सुखी टॉप में कोई हताहत नहीं हुआ है।इस आपदा की हर पल की निगरानी राज्य सरकार और केंद्र के आपदा नियंत्रण कक्ष से की जा रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय और आपदा प्रबंधन विभाग सतर्क हैं और हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।उत्तरकाशी की इस भयानक आपदा में राहत और बचाव दलों की निस्वार्थ सेवा, अनुशासन और साहस ने फिर साबित कर दिया है कि संकट की घड़ी में सेना और आपातकालीन टीमें देश के नागरिकों के लिए सबसे बड़ी ताकत हैं। जहां एक ओर कुदरत ने कहर ढाया, वहीं दूसरी ओर सेना उम्मीद और जीवन की रेखा बनकर खड़ी है।

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