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उत्तरकाशी आपदा: दोहरी मार बना विनाश का कारण - The Indian Exposure

उत्तरकाशी आपदा: दोहरी मार बना विनाश का कारण

उत्तराखंड का उत्तरकाशी ज़िला एक बार फिर भीषण प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। धराली गांव के ऊपर स्थित खीरगंगा में मंगलवार दोपहर बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी। इस आपदा ने न केवल सैकड़ों ज़िंदगियों को संकट में डाल दिया, बल्कि पूरे धराली बाज़ार, मंदिरों, होटलों और घरों को मलबे में तब्दील कर दिया।

एक नहीं, दो बार आया मलबातबाही की दोहरी मार

स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंगलवार दोपहर करीब 1:50 बजे खीरगंगा के ऊपर बादल फटा, और महज 20 सेकंड में मलबे और पानी की पहली लहर धराली बाज़ार की ओर बढ़ गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, लेकिन उससे पहले ही विनाशकारी सैलाब ने कई जिंदगियों को अपनी चपेट में ले लिया।कुछ देर के लिए स्थिति शांत हुई, लेकिन इसके बाद एक और तेज़ लहर मलबे और पानी के साथ फिर आई। इस दोहरी मार ने पूरे क्षेत्र को मलबे के ढेर में बदल दिया। यह बात अब स्पष्ट हो चुकी है कि तबाही का कारण एक बार नहीं, बल्कि दो बार तेजी से आया सैलाब था, जिसने सब कुछ उजाड़ दिया।

खीरगंगा: पुराना खतरा, नजरअंदाज होती चेतावनियाँ

यह पहली बार नहीं है जब खीरगंगा नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। 2017-18 और 2023 में भी खीरगंगा के बढ़ते जलस्तर के चलते गंगोत्री हाईवे बंद हो चुका है और आसपास के होटलों, दुकानों व घरों को काफी नुकसान पहुंचा था। तब भी शासन-प्रशासन और स्थानीय लोगों को चेतावनी मिली थी, लेकिन सुरक्षात्मक कार्य सीमित रहे और नदी का स्पैन कम होने के कारण यह उपाय पर्याप्त साबित नहीं हुए।

धराली में तांडव: कल्प केदार मंदिर भी मलबे में समाया

धराली का मुख्य बाज़ार, जो हमेशा पर्यटकों और स्थानीय लोगों की चहल-पहल से गुलजार रहता था, अब मलबे का ढेर बन चुका है। प्रसिद्धकल्प केदार मंदिर भी इस आपदा में बह चुका है, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक क्षति भी हुई है। इस त्रासदी में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि करीब 70 लोग लापता बताए जा रहे हैं। साथ ही करीब 130 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

30 से अधिक भवन जमींदोज, हर्षिल घाटी में तीन स्थानों पर फटे बादल

घटना केवल धराली तक सीमित नहीं रही। हर्षिल घाटी में तीन अलगअलग स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। प्रशासन के मुताबिक, 30 से अधिक घर, दुकानें और होटल मलबे में समा गए हैं। राहत कार्यों को तेज़ी से अंजाम देने के लिए सेना, NDRF, SDRF, और पुलिस की टीमें लगातार मैदान में डटी हुई हैं।

केंद्र से दो एमआई हेलिकॉप्टर और एक चिनूक की मांग, वायु सेना तैयार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार और वायुसेना से दो एमआई और एक चिनूक हेलिकॉप्टर राहत कार्यों के लिए तैनात करने की मांग की है। लगातार बारिश के चलते फिलहाल हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं, लेकिन मौसम साफ होते ही एयरलिफ्ट ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा यूकाडा (UCADA) ने भी दो निजी हेलिकॉप्टर राहत के लिए तैयार रखे हैं।

भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी, खतरा अभी टला नहीं

उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर में भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा देहरादून, नैनीताल, चम्पावत और पौड़ी जिलों में येलो अलर्ट जारी है। राज्य के अन्य हिस्सों में भी तेज बारिश की संभावना जताई गई है, जिससे बचाव कार्यों में और कठिनाई आ सकती है।

प्रशासन की तैयारी: राहत शिविर, उच्चस्तरीय निगरानी

जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। डीएम प्रशांत आर्य और एसपी सरिता डोवाल मौके पर रवाना हो चुके हैं। हर्षिल में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रभावितों को हरसंभव मदद दी जाए और प्राथमिकता के आधार पर लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जाए।


उत्तरकाशी की यह आपदा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में बदलते मौसम और पर्यावरणीय संतुलन के बिगड़ने का खामियाजा आम लोगों को कितना भयावह ढंग से भुगतना पड़ता है। प्रशासन, स्थानीय जनता और नीति निर्माताओं को अब और गंभीर और ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को टाला जा सके।

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