
उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को आई आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य लगातार नौवें दिन भी जारी है। डॉग स्क्वाड, थर्मल कैमरा, जीपीएस और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) जैसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन अब तक बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। मलबे से अब तक केवल एक शव बरामद हुआ है।
मलबा हटाना बड़ी चुनौती
एसडीआरएफ के आईजी अरुण मोहन जोशी के मुताबिक, हर दिन समीक्षा बैठक के बाद लापता लोगों की तलाश की रणनीति तय की जा रही है। सड़कें बंद होने के कारण मलबे को हटाना मुश्किल है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि हटाए गए मलबे को कहां ले जाया जाएगा।
खीरगंगा पर मंडरा रहा नया खतरा
एनडीआरएफ की रिपोर्ट के अनुसार, खीरगंगा के मुहाने पर करीब 15 फीट मलबा और दो बड़े बोल्डर जमा हैं। अगर ये बोल्डर पानी के बहाव के साथ नीचे आते हैं, तो उनके साथ जमा मलबा फिर से विनाशकारी बाढ़ ला सकता है।
गंगोत्री मार्ग खोलने में लगेगी तीन-चार दिन
लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज पांडेय ने बताया कि गंगोत्री तक का मार्ग खोलने में सीमा सड़क संगठन (BRO) के साथ मिलकर दिन-रात काम हो रहा है। जिलाधिकारी प्रशांत आर्या ने कहा कि डबरानी, सोनगाड़, लोहारीनाग, हर्षिल और धराली में मलबा व भू-धंसाव के कारण सड़क बंद है और यात्रा फिलहाल स्थगित रहेगी।
विशेषज्ञों की टीम मौके पर
आपदा के कारणों की जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने धराली का स्थलीय निरीक्षण किया। इसमें उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक शामिल हैं। टीम ने मलबे के नमूने, खीरगाड के प्रवाह क्षेत्र और मलबे के प्रसार का भी अध्ययन किया।
भागीरथी में बनी झील से जल निकासी
हर्षिल में भागीरथी नदी में बनी झील की गहराई 10 से 15 फीट बताई गई है। सिंचाई विभाग के प्रमुख सुभाष कुमार ने बताया कि मैन्युअल तरीकों से झील का मुहाना चौड़ा कर जल निकासी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
खोज और बचाव कार्य में सेना और ITBP की तैनाती
हर्षिल हेलीपैड पर 25 जवान तैनात हैं और क्षेत्र में छह डॉग स्क्वाड सक्रिय हैं। आर्मी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें अलग-अलग सेक्टरों में खोज अभियान चला रही हैं। बुधवार को आईटीबीपी ने धराली के एक क्षतिग्रस्त घर से दो खच्चरों के शव बरामद किए, जबकि एनडीआरएफ ने जीपीआर से मिले संकेतों पर खुदाई करते हुए कई संभावित स्थलों की जांच की।
तकनीक के सहारे उम्मीद
एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट आरएस धपोला के अनुसार, जीपीआर से मिली तस्वीरों से पता चला है कि कुछ जगहों पर आठ से दस फीट नीचे होटल और लोग दबे हो सकते हैं। संकेत मिलने पर वहां मैन्युअल खुदाई की जा रही है।
हेलिकॉप्टर और संचार व्यवस्था
मौसम साफ होने पर बुधवार सुबह 11 बजे से हेलिकॉप्टर उड़ान शुरू हुई। अब दो चिनूक, एक एमआई और एक एएलएच हेलिकॉप्टर राहत कार्य में शामिल हैं। धराली में संचार सेवा आंशिक रूप से बहाल की गई है, जिसमें पीटी रेडियो और वाई-फाई एक्सेस प्वाइंट का इस्तेमाल हो रहा है।