
सुपरस्टार रजनीकांत के फैंस के लिए आज का दिन किसी त्यौहार से कम नहीं रहा, क्योंकि उनकी मच-अवेटेड फिल्म ‘कुली’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। लंबे समय से इंतजार कर रहे उनके चाहने वालों में फिल्म को लेकर इतना उत्साह है कि रिलीज के पहले ही दिन देशभर के कई राज्यों से जश्न के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। रजनीकांत की फैन फॉलोइंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बारिश, भीड़भाड़ और लंबी कतारों के बावजूद लोग थिएटर पहुंचने से नहीं चूके।
मुंबई में बारिश के बीच पूजा और आरती
मुंबई से आए कुछ वीडियो में देखा जा सकता है कि भारी बारिश के बावजूद फैंस ‘कुली’ के पहले शो के लिए सुबह-सुबह ही थिएटर के बाहर इकट्ठा हो गए। खास बात यह रही कि महिलाओं का एक समूह आरती की थाली और फूल लेकर पहुंचा। वे छाते के नीचे भीगते हुए रजनीकांत के एक विशाल पोस्टर के सामने पूजा करती नजर आईं। इन महिलाओं ने पोस्टर पर फूल चढ़ाए, अगरबत्ती जलाई और आरती उतारकर फिल्म की सफलता की कामना की। यह दृश्य देखकर साफ झलकता है कि रजनीकांत उनके लिए सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक हैं।
नारियल फोड़कर और दूध चढ़ाकर मनाया जश्न
एक अन्य वीडियो में पुरुष फैंस थिएटर में प्रवेश करने से पहले पारंपरिक रीति-रिवाज निभाते हुए दिखाई दिए। वे पोस्टर के सामने नारियल फोड़ते और उस पर दूध चढ़ाते नजर आए। दक्षिण भारतीय संस्कृति में यह शुभ अवसरों पर की जाने वाली एक रस्म मानी जाती है, और फैंस ने इसे फिल्म की सफलता और अपने स्टार की लंबी उम्र के लिए किया।
तिरुचिरापल्ली में ढोल-नगाड़ों के साथ उत्सव
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली से भी रंग-बिरंगे जश्न के वीडियो सामने आए हैं। यहां महिलाएं फूल लेकर और पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी थिएटर पहुंचीं, वहीं पुरुष ढोल की थाप पर जमकर नाचते दिखे। माहौल इतना उत्साहपूर्ण था कि थिएटर के बाहर किसी त्यौहार का सा नजारा बन गया।
चेन्नई में पोस्टर पर गुलाल बरसाया
चेन्नई से आए एक वीडियो में भारी भीड़ थिएटर के बाहर जुटी दिखाई दी। फैंस न सिर्फ फिल्म देखने के लिए लाइन में लगे थे, बल्कि रजनीकांत के बड़े पोस्टर पर रंग और गुलाल उड़ाकर खुशी जाहिर कर रहे थे। इस दौरान फैंस के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा—”थलाइवा, थलाइवा!”
फैंस के लिए फिल्म नहीं, भावनाओं का उत्सव
रजनीकांत की फिल्मों का रिलीज डे हमेशा से ही उनके फैंस के लिए किसी बड़े पर्व जैसा रहा है। ‘कुली’ के साथ भी वही परंपरा देखने को मिल रही है। पूजा-पाठ, संगीत, नृत्य, रंग-गुलाल और नारियल फोड़ने की रस्में यह साबित करती हैं कि रजनीकांत के लिए लोगों का प्यार सिर्फ सिनेमा हॉल की चार दीवारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और भावनात्मक उत्सव है।