
उत्तराखंड के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में गुरुवार को मतदान के दौरान माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। यह चुनाव शुरू से ही भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का मुद्दा बना हुआ था, लेकिन मतदान के दिन हालात और गरमा गए। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी और कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने पुलिस और प्रशासन की मदद से कांग्रेस के पांच निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को जबरन उठाया और उन्हें मतदान से दूर रखने की कोशिश की।
कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इन सदस्यों को न सिर्फ उठाया गया बल्कि उनके साथ मारपीट और घसीटकर ले जाने जैसी घटनाएं भी हुईं। इन पांच सदस्यों की अनुपस्थिति ने कांग्रेस खेमे में हड़कंप मचा दिया, क्योंकि यहां अध्यक्ष पद पर भाजपा की दीपा दरम्वाल और कांग्रेस की पुष्पा नेगी के बीच सीधा मुकाबला है।
हाई कोर्ट की शरण में कांग्रेस
इस पूरे घटनाक्रम का कांग्रेस ने वीडियो बनाया और तुरंत ही इसे साक्ष्य के तौर पर हाई कोर्ट में पेश कर दिया। कांग्रेस ने मामले को अर्जेंट मैटर रिट के रूप में दाखिल करते हुए चुनाव रद्द करने की मांग की। सुनवाई के दौरान कांग्रेस के अधिवक्ता ने पांच समर्थक सदस्यों के “अपहरण” का आरोप लगाया और आशंका जताई कि ये सभी हल्द्वानी में रखे गए हैं। हालांकि, सरकार की ओर से इस दावे से इनकार किया गया।
कोर्ट की सख्ती और आदेश
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने मामले को गंभीर मानते हुए सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने एसएसपी को आदेश दिया कि गायब पांचों सदस्यों को तत्काल तलाश कर सुरक्षित लाया जाए। साथ ही जिलाधिकारी (DM) और एसएसपी दोनों को वर्चुअली पेश होकर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इन सदस्यों को मतदान के लिए हाई कोर्ट के सुरक्षा अधिकारी राकेश बिष्ट की निगरानी और सुरक्षा में लाया जाए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इसके साथ ही कोर्ट ने जिलाधिकारी को यह विवेकाधिकार भी दिया कि आवश्यकता पड़ने पर मतदान का समय बढ़ाया जा सकता है, ताकि गायब सदस्य भी अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि शाम 4:30 बजे फिर से सुनवाई होगी और इस दौरान DM और SSP को पूरी स्थिति की रिपोर्ट पेश करनी होगी।
राजनीतिक माहौल में बढ़ा तनाव
इस घटनाक्रम ने न केवल चुनावी माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है, बल्कि भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक टकराव भी चरम पर पहुंच गया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा प्रशासनिक ताकत का दुरुपयोग कर रही है, जबकि भाजपा इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है। अब सभी की नजरें हाई कोर्ट के अगले आदेश और इन गायब पांच सदस्यों की बरामदगी पर टिकी हैं, क्योंकि यह तय करेगा कि इस अहम चुनाव में सत्ता की बाजी किसके हाथ लगेगी।