
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर एक सर्वे में यह सामने आया है कि 71 प्रतिशत लोग इस आदेश का पूरी तरह समर्थन करते हैं, जबकि 24 प्रतिशत लोग इसका विरोध करते हैं और 5 प्रतिशत ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। यह सर्वे लोकल सर्कल ने कराया, जिसमें कुल 12,816 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे में शामिल उत्तरदाताओं में 62 प्रतिशत पुरुष और 38 प्रतिशत महिलाएं थीं, जो दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाज़ियाबाद के निवासी हैं।
सर्वे के नतीजों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के अधिकतर निवासी सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की बेंच के आदेश के पक्ष में हैं, जिसमें कहा गया है कि सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह के भीतर हटाकर शेल्टर में रखा जाए। सर्वे ने स्पष्ट किया कि बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं कि नगर निगम इस आदेश को लागू करे और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित हो।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया। यह सुनवाई उस याचिका पर हुई जिसमें 11 अगस्त के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी। 11 अगस्त के आदेश में दो न्यायाधीशों की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बेंच, जिनमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया शामिल हैं, ने स्थानीय प्रशासन से पूछा कि वे एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों को लागू करने की स्थिति में कहां खड़े हैं। बेंच ने कहा कि पूरी समस्या स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण पैदा हुई है। साथ ही बेंच ने कहा कि जो भी लोग सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप कर चुके हैं, उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। इस आदेश के तहत सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था, जिसे लेकर लोगों और पशु प्रेमियों में भारी चर्चा और विरोध हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को एक सुओ मोटू केस की सुनवाई के दौरान कहा था कि बच्चों में रेबीज के मामले और कुत्तों द्वारा काटने की घटनाओं को देखते हुए स्थिति “बहुत गंभीर” हो गई है। इस कारण कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को “जितनी जल्दी हो सके स्थायी रूप से” शेल्टर में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
सर्वे के आंकड़े और सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई दोनों ही इस बात को रेखांकित करते हैं कि आवारा कुत्तों के मुद्दे को लेकर जनता और न्यायपालिका दोनों ही सुरक्षा और कानून व्यवस्था को प्राथमिकता दे रहे हैं।