
जम्मू-कश्मीर में 8 साल बाद एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला, जब किसी निर्वाचित मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह अवसर और भी खास हो गया क्योंकि शुक्रवार को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तिरंगा फहराकर राज्य की राजनीतिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नई शुरुआत का प्रतीक स्थापित किया।
उमर अब्दुल्ला इस समारोह की अध्यक्षता करने वाले 2017 के बाद पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। इससे पहले आखिरी बार यह सम्मान पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को मिला था, जिन्होंने 2017 में स्वतंत्रता दिवस समारोह का नेतृत्व किया था। 2018 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा पीडीपी से समर्थन वापस ले लेने के बाद गठबंधन सरकार गिर गई थी और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया था। इसके बाद राज्य में लंबे समय तक निर्वाचित सरकार का अभाव रहा।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बख्शी स्टेडियम में हुए मुख्य समारोह में उमर अब्दुल्ला को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने परेड में भाग लेने वाली टुकड़ियों का निरीक्षण किया और जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों और स्कूली बच्चों की टुकड़ियों के मार्च पास्ट की सलामी ली। इस दौरान राज्य के अन्य जिला मुख्यालयों में उनके कैबिनेट सहयोगियों ने भी स्वतंत्रता दिवस समारोहों की अध्यक्षता की। हालांकि, इस वर्ष के समारोह का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिया गया, क्योंकि मुख्यमंत्री ने इसे हाल ही में किश्तवाड़ में आई बाढ़ में मारे गए लोगों की स्मृति और सम्मान में रद्द करने का निर्णय लिया।
2018 में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख — में विभाजित किया गया। इस बदलाव के बाद से यहां का प्रशासन केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के हाथों में रहा। 2020 से 2024 तक स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोहों में उपराज्यपाल ने ध्वजारोहण किया।
पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनावों के बाद उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। इस बार का ध्वजारोहण न केवल लोकतंत्र की बहाली का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि जम्मू-कश्मीर अब एक नई राजनीतिक स्थिरता और विकास की ओर अग्रसर है।