
उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र का पहला ही दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हालात इस कदर बिगड़े कि विपक्षी विधायकों ने सचिव की टेबल पलट दी, माइक तोड़ डाले और कार्यसूची फाड़कर हवा में लहराई। विधानसभा अध्यक्ष को कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
श्रद्धांजलि सभा के बीच शुरू हुआ हंगामा
सुबह की कार्यवाही दिवंगत पूर्व विधायक मुन्नी देवी को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और सौरभ बहुगुणा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा कि मुन्नी देवी ने अपने पति पूर्व विधायक मदन लाल शाह की मृत्यु के बाद न केवल परिवार को संभाला बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। वह जनता से सीधे संवाद में विश्वास रखती थीं और बीमारी में भी अपने क्षेत्र के विकास को लेकर चिंतित रहती थीं।
श्रद्धांजलि प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री धामी का माइक खराब हो गया, जिसके बाद उन्होंने पास बैठे मंत्री के माइक से बोलकर अपनी बात रखी।
विपक्ष का गुस्सा फूटा – टेबल पलटी, माइक तोड़े
लेकिन श्रद्धांजलि के तुरंत बाद ही कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस ने सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर हमला बोला और लगातार नारेबाजी की। स्थिति इतनी बिगड़ी कि कांग्रेस विधायकों ने सदन की कार्यसूची फाड़कर सदन में उछाल दी और वेल में धरने पर बैठ गए। इसी दौरान विपक्षी विधायकों ने सचिव की टेबल पलट दी और वहां लगे माइक व टेबलेट भी तोड़ डाले। विधानसभा अध्यक्ष ने इसे बेहद दुखद करार दिया और नाराजगी जताई।
बार-बार स्थगित होती रही कार्यवाही
सुबह से लेकर दोपहर तक सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा।
- पहले सदन को 11:40 बजे तक स्थगित किया गया।
- इसके बाद कार्यवाही शुरू हुई लेकिन फिर हंगामा बढ़ने पर 12 बजे तक स्थगन किया गया।
- 11:55 बजे तीसरी बार स्थगन अवधि बढ़ाई गई।
- 1:11 बजे दोबारा सदन की कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित हुई।
- इसके बाद भी हंगामा जारी रहा और अंततः कार्यवाही को चार बजे तक स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष पर बरसे मुख्यमंत्री धामी
हंगामे पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सदन जनता की समस्याओं पर चर्चा के लिए होता है, लेकिन विपक्ष ने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई हैं। उन्होंने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि विपक्ष किस तरह लोकतांत्रिक परंपराओं को ठेस पहुंचा रहा है।
सीएम धामी ने पंचायत चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा को इन चुनावों में भारी जीत मिली है। जनता ने पंचायत, लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय चुनावों में भाजपा पर भरोसा जताकर विकास की जिम्मेदारी दी है। इससे विपक्ष का निराश होना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस की परंपरा बन चुकी है कि जहां भी चुनाव हारते हैं, वहां ईवीएम, चुनाव आयोग, प्रशासन या सरकार को दोष देते हैं। नैनीताल में अध्यक्ष पद भाजपा ने और उपाध्यक्ष पद कांग्रेस ने जीता। अगर चुनाव निष्पक्ष नहीं होते तो दोनों पद भाजपा के पास होते।”
सीएम ने दोहराया कि भाजपा चर्चा के लिए तैयार थी, लेकिन विपक्ष ने हंगामा करके सदन का अपमान किया। “हमें अपने राज्य को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में काम करना है। विपक्ष को भी सकारात्मक बहस में हिस्सा लेना चाहिए।”
निष्कर्ष
मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्षी हंगामे और सदन में हुई तोड़फोड़ ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। जहां विपक्ष कानून व्यवस्था और अन्य मुद्दों को लेकर आक्रामक है, वहीं सरकार विपक्ष पर गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगा रही है। अब सबकी नजरें इस पर हैं कि सत्र के अगले दिनों में क्या विपक्ष सरकार से बहस करेगा या हंगामे का दौर और तेज होगा।