
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच नई दिल्ली में अहम बैठक हुई। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करने वाले हैं। इस लिहाज़ से यह वार्ता न केवल मौजूदा संबंधों को सुधारने बल्कि भविष्य की दिशा तय करने के लिहाज से भी बेहद अहम मानी जा रही है।
सीमा पर शांति और सहयोग पर डोभाल का बयान
बैठक के दौरान एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि सीमा पर इस समय शांति और सौहार्द बना हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की यह 24वीं वार्ता भी उतनी ही सफल होगी जितनी पिछली रही थी। डोभाल ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे, इसलिए आज की वार्ता का महत्व और बढ़ जाता है। हमें खुशी है कि सीमा पर शांति है और द्विपक्षीय रिश्तों में मजबूती आई है। हमारे नेताओं ने पिछले साल अक्टूबर में कजान में जो नया रुख और माहौल स्थापित किया था, उससे हमें आगे बढ़ने में काफी मदद मिली है।”
डोभाल ने आगे कहा कि भारत और चीन अपने राजनयिक संबंधों के 75वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं, और यह समय दोनों देशों के लिए नए अवसर और नई ऊर्जा लेकर आया है। उन्होंने राजनयिक प्रतिनिधियों, राजदूतों और सीमा पर तैनात सेनाओं के योगदान को भी सराहा, जिन्होंने आपसी जिम्मेदारी निभाते हुए संबंधों में स्थिरता कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वांग यी का सकारात्मक रुख
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी वार्ता में सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों को कई असफलताओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे दोनों देशों की जनता के हित में नहीं थीं। वांग यी ने विशेष रूप से पिछले साल अक्टूबर में कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने दोनों देशों के संबंधों में नई दिशा देने वाला करार दिया।
वांग यी ने कहा, “सीमा पर अब स्थिरता बहाल हुई है, जिसे देखकर हमें खुशी है। 23वीं दौर की विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता बहुत सफल रही थी। उसमें हम मतभेदों को कम करने, सीमा को स्थिर करने और समाधान की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमत हुए थे। अब हमारे पास एक ढांचा है और विशिष्ट लक्ष्य तय किए गए हैं। यह दोनों देशों के बीच संबंधों को आगे ले जाने का सही अवसर है।”
उन्होंने आगे कहा कि चीन प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा को बहुत महत्व देता है। “यह यात्रा हमारे निमंत्रण पर हो रही है और हमें विश्वास है कि भारत भी तियानजिन में होने वाले शिखर सम्मेलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। स्वस्थ और स्थिर भारत-चीन संबंध दोनों देशों के मौलिक और दीर्घकालिक हितों की पूर्ति करते हैं और यही दुनिया के अन्य विकासशील देश भी देखना चाहते हैं।”
रणनीतिक सहयोग और आगे की दिशा
चीनी विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को अपने नेताओं के मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए, रणनीतिक संचार को बढ़ाना चाहिए और आपसी विश्वास को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदान-प्रदान और सहयोग के माध्यम से साझा हितों को आगे बढ़ाना और सीमाओं से जुड़े मुद्दों का उचित समाधान करना ही दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मजबूत बनाएगा।
वांग यी ने बताया कि छोटे समूह की बैठक में पहले ही गहन और विस्तृत बातचीत हो चुकी है, और बड़े समूह की बैठक में वे और व्यापक सहमति बनाने तथा आगे की सीमा वार्ता की दिशा तय करने के लिए तत्पर हैं।
निष्कर्ष
भारत और चीन के बीच यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब दोनों देशों के रिश्ते नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। लद्दाख में लंबे समय से जारी तनाव, गलवान घाटी की घटना और सीमा पर तैनाती के कारण संबंधों पर गहरा असर पड़ा है। लेकिन अब दोनों पक्ष यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि बातचीत और कूटनीति के जरिए मतभेदों को दूर कर स्थिरता और सहयोग की नई शुरुआत की जा सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित चीन यात्रा और एससीओ शिखर सम्मेलन इस दिशा में निर्णायक मोड़ साबित हो सकते हैं। यदि डोभाल-वांग यी वार्ता से ठोस नतीजे निकलते हैं तो यह भारत-चीन संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत होगी, जो न केवल दोनों देशों बल्कि पूरे एशिया क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।