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दुष्कर्म मामले में दोषी आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से राहत, अंतरिम जमानत 3 सितंबर तक बढ़ी - The Indian Exposure

दुष्कर्म मामले में दोषी आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से राहत, अंतरिम जमानत 3 सितंबर तक बढ़ी

गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को दुष्कर्म के दोषी स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू की अस्थायी जमानत अवधि एक बार फिर से बढ़ा दी है। अदालत ने उन्हें 3 सितंबर तक राहत प्रदान कर दी है। आसाराम को गांधीनगर की एक अदालत ने वर्ष 2013 में दर्ज बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फिलहाल वह लगातार खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जेल से बाहर हैं।

गुजरात हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति इलेश वोरा और न्यायमूर्ति पीएम रावल शामिल हैं, ने यह आदेश दिया। इससे पहले उनकी जमानत 21 अगस्त तक के लिए बढ़ाई गई थी, जिसकी अवधि अब 3 सितंबर तक और बढ़ा दी गई है। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट भी 20 अगस्त को आसाराम की एक अन्य केस से संबंधित जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाला है।

कई बार बढ़ चुकी है अंतरिम जमानत

आसाराम की अंतरिम जमानत का सिलसिला लगातार चल रहा है। पहले उन्हें 7 जुलाई तक अस्थायी राहत दी गई थी। बाद में अदालत ने एक और महीने की जमानत अवधि बढ़ाई। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि आगे की किसी भी चिकित्सा-आधारित याचिका पर विशेष सतर्कता से विचार किया जाएगा। 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट से संपर्क करने को कहा था।

आसाराम ने पहली बार हाईकोर्ट में अपील तब की थी जब 31 मार्च तक दी गई उनकी अंतरिम जमानत समाप्त होने वाली थी। उस समय शीर्ष अदालत ने उन्हें निर्देश दिया था कि अगर आगे जमानत बढ़ाने की आवश्यकता हो, तो इसके लिए उचित अदालत का रुख करें।

गांधीनगर कोर्ट का बड़ा फैसला

जनवरी 2023 में गांधीनगर की अदालत ने आसाराम को एक महिला शिष्या से बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2001 से 2006 के बीच आसाराम ने अहमदाबाद के पास मोटेरा स्थित अपने आश्रम में कई बार उसका यौन शोषण किया।

पहले से ही एक अन्य केस में उम्रकैद

आसाराम पहले से ही 2013 में राजस्थान के जोधपुर स्थित अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिए जा चुके हैं और वहां भी उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली हुई है।

किन धाराओं में दोषी ठहराया गया

गांधीनगर की अदालत ने आसाराम को भारतीय दंड संहिता (IPC) की गंभीर धाराओं के तहत दोषी पाया, जिनमें शामिल हैं:

  • धारा 376 (2)(C) – दुष्कर्म
  • धारा 377 – अप्राकृतिक अपराध
  • धारा 342 – गलत तरीके से हिरासत में रखना
  • धारा 354 – महिला की गरिमा भंग करना
  • धारा 357 – हमला
  • धारा 506 – आपराधिक धमकी देना

इन सभी धाराओं में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

स्वास्थ्य के नाम पर राहत

पिछले कई महीनों से आसाराम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए जेल से बाहर हैं। बार-बार जमानत अवधि बढ़ाए जाने पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अदालतें मेडिकल रिपोर्ट्स और उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए अस्थायी राहत देती आ रही हैं।

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