उत्तराखंड मानसून सत्र: विपक्ष का हंगामा चरम पर, किताबें मेज पर पटकते ही कार्यवाही स्थगित

गैरसैंण (भराड़ीसैंण)। उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र मंगलवार से ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा में शुरू हुआ। सत्र के पहले ही दिन विपक्षी विधायकों ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विधायक नियम 310 के तहत चर्चा की मांग पर अड़े रहे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दिनभर में कार्यवाही को कुल आठ बार स्थगित करना पड़ा

कब-कब स्थगित हुई कार्यवाही

पहले दिन कार्यवाही महज़ एक घंटा 45 मिनट ही चल पाई। इसके अलावा शोर-शराबे और हंगामे के कारण बार-बार सदन स्थगित करना पड़ा।

  • सुबह 11:07 से 11:20 बजे तक
  • 11:20 से 11:30 बजे तक
  • 11:30 से 11:50 बजे तक
  • 11:50 से 12:00 बजे तक
  • 1:25 से 3:00 बजे तक
  • 3:25 से 4:00 बजे तक
  • 4:08 बजे से अगले दिन सुबह 11 बजे तक
    इन रुकावटों के चलते पूरे दिन सदन की कार्यवाही बाधित रही और विपक्ष वेल में नारेबाजी करता रहा।

विपक्ष का बढ़ता हंगामा

विपक्षी विधायकों ने न केवल नारेबाजी की बल्कि विधानसभा सचिव की टेबल पर किताबें पटककर अपना विरोध भी दर्ज कराया। इसके चलते सदन का माहौल बार-बार गरमा गया। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि सरकार कानून-व्यवस्था पर सो रही है और हाल ही में नैनीताल में हुई गोलीबारी व जिला पंचायत चुनावों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की विफलताओं पर चर्चा कराई जानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर सीधा हमला बोला और कहा कि प्रदेश में घटनाएं बढ़ रही हैं लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। वहीं बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद और निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी विपक्षी हंगामे में शामिल रहे।

सरकार का जवाब और माइक खराब होने की घटना

संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने विपक्ष की मांगों को अनुचित बताया और कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा को तैयार है, लेकिन विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा कर रहा है। हंगामे के बीच एक अजीब स्थिति तब उत्पन्न हुई जब सदन में भाजपा विधायकों और मंत्रियों के माइक अचानक खराब हो गए। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री को दूसरे माइक से बोलना पड़ा।

बजट और विधेयक पेश

हंगामे के बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शाम करीब चार बजे सदन में अनुपूरक बजट 2025-26 पेश किया। इस बजट में विकास कार्यों, आपदा प्रबंधन और आगामी बड़े आयोजनों के लिए विशेष प्रावधान किए गए।

  • पूंजीगत मद के लिए 3163.02 करोड़ रुपये
  • आपदा राहत कार्यों के लिए 264.94 करोड़ रुपये
  • हरिद्वार कुंभ मेला 2027 की तैयारियों के लिए 200 करोड़ रुपये
  • राजस्व मद में 2152.37 करोड़ रुपये
  • केंद्रीय पोषित योजनाओं के लिए 1689.13 करोड़ रुपये
  • बाह्य सहायतित योजनाओं के लिए 215 करोड़ रुपये
  • भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों और राहत कार्यों के लिए 263.94 करोड़ रुपये
  • जिलाधिकारियों के माध्यम से आपदा प्रभावित परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण हेतु 13 करोड़ रुपये
  • नंदा राजजात यात्रा मार्ग पर कार्यों के लिए 40 करोड़ रुपये

इसके अलावा, सरकार ने हंगामे के बीच ही कुल नौ विधेयक सदन में पटल पर रखे, जिनमें धर्मांतरण कानून संशोधन, अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) संशोधन विधेयक और बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर अधिनियम संशोधन जैसे अहम विधेयक शामिल थे।

विपक्ष का आरोप, सरकार की सफाई

कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त है और सरकार गंभीर मुद्दों से भाग रही है। उन्होंने नैनीताल गोलीकांड पर तुरंत चर्चा की मांग की। जबकि मुख्यमंत्री धामी ने सदन में स्पष्ट किया कि मामले की जांच कुमाऊं आयुक्त को सौंप दी गई है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

धर्मांतरण कानून पर कड़ा रुख

पहले दिन सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक 2025 भी पेश किया। इसके तहत अब धर्म परिवर्तन कराने पर अधिकतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 14 साल या आजीवन कारावास तक की जा सकेगी। जुर्माना भी 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। डिजिटल माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है।


कुल मिलाकर, मानसून सत्र का पहला दिन विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और हंगामे में बीता। कार्यवाही आठ बार बाधित हुई और महज़ एक घंटा 45 मिनट ही सदन चल पाया। हालांकि शोरगुल के बीच सरकार ने बजट और नौ विधेयक पेश कर दिए, लेकिन विपक्ष लगातार सरकार को कानून-व्यवस्था और जनहित के मुद्दों पर घेरने में लगा रहा।

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