
उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र बुधवार को अपने दूसरे दिन भी खास चर्चा का केंद्र बना रहा। इस दिन विधानमंडल में अनुपूरक बजट (उत्तराखंड विनियोग अनुपूरक विधेयक) समेत कुल नौ विधेयकों पर लंबी चर्चा हुई, जिसके बाद सभी विधेयक पारित कर दिए गए। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस पार्टी ने हंगामा जारी रखा और सदन में अपने विरोध को पूरी तरह स्पष्ट किया। यह पहली बार हुआ जब विधायकों ने सदन के अंदर रात बिताई, जो विधानसभा की कार्यवाही के इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड बन गया।
कांग्रेस का हंगामा और सदन में तनाव
बुधवार सुबह सत्र की शुरुआत होते ही कांग्रेस विधायकों ने कानून व्यवस्था और अन्य मुद्दों को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें शांत रहने और कार्यवाही में सहयोग करने का आग्रह किया, लेकिन हंगामा लगातार जारी रहा। भाजपा के विधायकों ने इस दौरान ‘शर्म करो’ जैसे नारेबाजी के माध्यम से विरोध जताया। तनाव बढ़ने के कारण सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री ने प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया, लेकिन सदन 12 बजे तक स्थगित रहा।
सदन की कार्रवाई के दौरान निर्दलीय विधायक संजय डोभाल भी वेल पर पहुंचे और कांग्रेस विधायकों के साथ नारेबाजी में शामिल हो गए। हंगामे के बीच भी अनुपूरक विनियोग विधेयक की अनुदान मांगें पारित कर दी गईं। इसके बाद ही सदन ने सभी नौ विधेयकों को पारित कर दिया।
अनुपूरक बजट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़
अनुपूरक बजट के अलावा सदन पटल पर कई महत्वपूर्ण रिपोर्ट और लेखा विवरण भी रखे गए। इनमें केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की वार्षिक रिपोर्ट, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की वार्षिक रिपोर्ट, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के अधिसूचित विनियमनों का संकलन और विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक लेखा विवरण शामिल हैं। इन दस्तावेज़ों से राज्य की विद्युत व्यवस्था, नीतियों और नियमों की जानकारी को विधायकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
सत्र के दौरान विपक्ष का हंगामा और विधायकों द्वारा रात गुजारने की घटना राज्य राजनीति में विशेष ध्यान खींच रही है। इस घटना ने यह दिखाया कि प्रदेश में राजनीतिक सक्रियता और विपक्षी दबाव विधानसभा की कार्यवाही को कितना प्रभावित कर सकता है। इसके बावजूद, सभी महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने के कारण राज्य सरकार को अपनी योजनाओं और बजट को लागू करने में अब बाधा नहीं रहेगी।
उत्तराखंड विधानसभा का यह मानसून सत्र राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि विपक्ष के विरोध और सरकार की कार्रवाई के बीच संतुलन बनाए रखना आसान नहीं था। इस सत्र में पारित विधेयकों के माध्यम से राज्य की योजनाओं, बजट और नीतिगत दिशा स्पष्ट हुई है।