
उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने एक बड़े आपराधिक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जो ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवाएं तैयार कर बाजार में बेच रहा था। इस कार्रवाई में STF ने गिरोह के सरगना सहित कुल छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरोह लंबे समय से लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर अवैध तरीके से मोटा मुनाफा कमा रहा था।
सरगना बद्दी से गिरफ्तार
मुख्य सरगना विजय कुमार पांडेय, जो हिमाचल प्रदेश के बद्दी में प्रिंटिंग प्रेस चलाता था, को STF ने दबोचा। बताया जा रहा है कि वह नकली दवाओं की पैकेजिंग तैयार करवाता था। एल्यूमीनियम फॉयल पर रैपर और अन्य पैकिंग मटेरियल इसी प्रेस से बनाए जाते थे, जिन्हें दवाओं की नकली पैकिंग में इस्तेमाल किया जाता था।
पहले ही पकड़े गए थे पांच आरोपी
इससे पहले STF ने गिरोह के पांच अन्य सदस्यों – संतोष कुमार, नवीन बंसल, आदित्य काला, देवी दयाल गुप्ता और पंकज शर्मा – को गिरफ्तार किया था। ये लोग दवाओं की सप्लाई, पैकिंग और वितरण का काम देख रहे थे। पूछताछ में पता चला कि ये सभी मिलकर नकली दवाओं का एक संगठित रैकेट चला रहे थे, जो कई राज्यों में सप्लाई करता था।
कैसे काम करता था नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह असली कंपनियों के नाम और डिजाइन कॉपी कर नकली पैकेजिंग तैयार करता था। फिर सस्ती और घटिया क्वालिटी की दवाओं को इन पैकिंग में भरकर बाजार में बेच दिया जाता था। इन दवाओं को सामान्य ग्राहकों के लिए असली और नकली में फर्क करना लगभग नामुमकिन था। इससे न केवल उपभोक्ताओं की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था, बल्कि ब्रांडेड कंपनियों की साख और कारोबार पर भी सीधा असर पड़ रहा था।
STF की सतर्कता से टूटा जाल
एसटीएफ को लंबे समय से इस गिरोह की गतिविधियों की जानकारी मिल रही थी। गुप्त सूचनाओं और निगरानी के बाद आखिरकार पूरी टीम ने रणनीतिक छापेमारी कर पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि इस कार्रवाई से प्रदेश में नकली दवा माफिया के हौसले टूटेंगे और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
स्वास्थ्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सुरक्षा और दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि नकली दवाएं किन-किन राज्यों और मेडिकल स्टोर्स तक सप्लाई की गईं। मामले की गहन जांच जारी है और संभावना है कि इस नेटवर्क से जुड़े और भी लोग सामने आ सकते हैं।