
उत्तरकाशी ज़िले का बड़कोट नगर प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जा रहा है। वैज्ञानिकों और भू-विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि यहाँ अनियंत्रित निर्माण और लापरवाही जारी रही, तो आने वाले समय में यह नगर किसी बड़ी आपदा का शिकार हो सकता है।
यमुना और गदेरों के बीच बसा नगर
बड़कोट यमुना नदी और तीन प्रमुख गदेरों—साडा, उपराड़ी और बड़कोट—के बीच बसा हुआ है। यही कारण है कि यहाँ कटाव और भू-धंसाव का खतरा लगातार बना रहता है। गदेरों के किनारे और मुहानों पर तेज़ी से हो रही अनियंत्रित बसावट स्थिति को और ज्यादा गंभीर बना रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि गदेरों के प्राकृतिक बहाव को बाधित किया गया, तो अचानक आई बाढ़ या भूस्खलन जैसी घटनाएँ बड़ी तबाही मचा सकती हैं।
आईआईटी रुड़की की टीम की चेतावनी
कुछ महीने पहले आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की एक टीम ने बड़कोट का दौरा किया था। टीम ने निरीक्षण के बाद बड़कोट नगर को आपदा की दृष्टि से “संवेदनशील जोन” में रखा और तत्काल उपचारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता बताई। टीम ने कहा कि नगर की भू-भौगोलिक स्थिति, नदियों और गदेरों की नज़दीकी, तथा बेतरतीब शहरीकरण इसे और ज्यादा संकटग्रस्त बना रहा है।
पिछली आपदाओं से सबक नहीं
साल 2000 में हुई अतिवृष्टि के दौरान उपराड़ी क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ था। उस समय वार्ड नंबर 7 को संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया था। लेकिन, इसके बावजूद आज तक कोई ठोस सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया गया। परिणामस्वरूप भू-धंसाव का खतरा लगातार बढ़ता गया और बेतरतीब निर्माण कार्यों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
नियमों की अनदेखी और अवैज्ञानिक निर्माण
गदेरों के पास लगातार हो रहे निर्माण कार्यों ने इनके मूल बहाव को संकरा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अवैज्ञानिक निर्माण न केवल पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करते हैं, बल्कि आपदा की संभावना को भी कई गुना बढ़ा देते हैं। यही कारण है कि बड़कोट का हर मौसम आपदा के डर के साए में गुजरता है।
नगरपालिका का मास्टर प्लान
नगरपालिका अध्यक्ष विनोद डोभाल ने स्वीकार किया कि बड़कोट नगर आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि शहर के बाकी हिस्सों को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इस प्लान में गदेरों और नदी के किनारे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से निर्माण पर नियंत्रण, संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षात्मक कार्य और आपदा-रोधी ढांचे की योजना शामिल होगी।
निष्कर्ष
बड़कोट नगर की स्थिति आज यह संदेश देती है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में यहां भारी तबाही हो सकती है। वैज्ञानिकों की चेतावनी, पूर्व आपदाओं का अनुभव और आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट इस नगर की नाजुक स्थिति को बार-बार सामने ला चुकी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और सरकार इन चेतावनियों को कितनी गंभीरता से लेते हैं और बड़कोट को बचाने के लिए कितनी जल्दी ठोस कदम उठाते हैं।