एनएचएआई FASTag Annual Pass: सीमित शहरी कवरेज पर नागरिकों की चिंता बढ़ी

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने हाल ही में FASTag वार्षिक पास लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य इंटर-स्टेट यात्रियों के टोल खर्च को कम करना है और लंबी दूरी की यात्रा को आसान बनाना है। हालांकि, इस पास की सीमित शहरी कवरेज को लेकर खासकर मुंबई, बंगलूरू और अन्य बड़े शहरों के यात्रियों में आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर राहुल माथुर, जो DeVC Global में प्री-सीड इन्वेस्टर हैं, ने इस योजना की खामियों को उजागर किया। उनकी पोस्ट 23 अगस्त तक 7 लाख से अधिक बार देखी जा चुकी थी। उन्होंने बताया कि यह पास कई हाई-ट्रैफिक रोड्स पर लागू नहीं है क्योंकि वे राज्य सरकार या निजी कंपनियों के अधीन हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई का बांद्रा-वर्ली सी-लिंक MSRDC के अधीन है, इसलिए यह पास वहां लागू नहीं होता। इसी तरह, बंगलूरू-मैसूर रोड और अटल सेतु जैसी सड़कों को भी इस योजना में शामिल नहीं किया गया है।

एनएचएआई वार्षिक पास फिलहाल केवल एनएचएआई द्वारा संचालित नेशनल हाईवे (NH) और नेशनल एक्सप्रेसवे (NE) पर ही मान्य है। इसका लाभ उन लोगों को होगा जो नियमित रूप से इंटर-स्टेट यात्रा करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति हर महीने बंगलूरू से कोच्चि या मुंबई से गोवा जाता है, तो वह प्रति यात्रा 300-400 रुपये तक बचा सकता है, जो सालाना 3,600 से 4,800 रुपये तक की बचत में बदल जाता है। इसी तरह, मुंबई-नाशिक कॉरिडोर या लंबी दूरी की अन्य यात्राओं पर यह पास उपयोगी साबित होगा।

इस पास की कीमत 3,000 रुपये है और इसे मौजूदा FASTag से लिंक किया जाएगा। वार्षिक पास धारक को एक साल में 200 ट्रिप की अनुमति मिलती है, जिसमें एक ट्रिप का मतलब है एक बार एंट्री और एग्जिट टोल बूथ पार करना। हालांकि, टैक्सी, टेम्पो और बसें इस योजना में शामिल नहीं हैं। पास को खरीदने के लिए उपयोगकर्ता को राजमार्ग यात्रा (Rajmarg Yatra) एप या NHAI की वेबसाइट का उपयोग करना होगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना लंबी दूरी की यात्रा के लिए तो लाभकारी है, लेकिन शहरों में रोजाना टोल इस्तेमाल करने वाले यात्रियों के लिए इसका प्रभाव सीमित है। शहरों में ज्यादातर टोल रोड्स राज्य सरकार या निजी एजेंसियों के नियंत्रण में हैं, इसलिए पूरे देश में एकीकृत पास फिलहाल संभव नहीं है। हालांकि, भविष्य में विभिन्न राज्य सरकारें और एजेंसियां अपने संस्करण के वार्षिक पास पेश कर सकती हैं। राहुल माथुर ने सवाल उठाया कि यदि यह राष्ट्रीय स्तर का टोल बचत पास बड़े शहरों की व्यस्त सड़कों पर लागू नहीं होगा, तो इसका असली फायदा किसे मिलेगा।

इस योजना से लंबी दूरी के यात्रियों को निश्चित बचत का लाभ मिलेगा, लेकिन शहरों में रोजाना यात्रा करने वाले नागरिकों के लिए फिलहाल सीमित उपयोगिता ही है। एनएचएआई की यह पहल टोल सिस्टम को डिजिटल और सुविधाजनक बनाने की दिशा में पहला कदम है, लेकिन शहरी उपयोगकर्ताओं की चिंताओं को दूर करना अभी बाकी है।

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