
दून-दिल्ली एक्सप्रेसवे को लेकर लोगों में लंबे समय से उत्सुकता बनी हुई है। यह एक्सप्रेसवे उत्तराखंड से दिल्ली तक तेज़ और सुरक्षित सफर का सपना लेकर बनाया जा रहा है। लेकिन इसके उद्घाटन से पहले ही इस सड़क की स्थिति ने लोगों को चिंतित कर दिया है। हाल ही में हुई भारी बारिश का असर इस एक्सप्रेसवे पर साफ नज़र आने लगा है। सड़क की सतह पर बजरी उखड़ गई है, कई जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं और जिन पहाड़ों को काटकर सड़क बनाई गई थी, वे भी अब दरकने लगे हैं। इससे न सिर्फ़ निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है बल्कि आवाजाही करने वालों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अधूरी तैयारियों के बीच खोला गया छोटा हिस्सा
दिल्ली-दून एक्सप्रेसवे पर निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है। गणेशपुर से आशारोड़ी तक एलिवेटेड रोड का निर्माण महीनों पहले ही लगभग पूरा कर लिया गया था। इसके बाद मां डाट काली मंदिर तक एक वायाडक्ट बनाने का कार्य जारी है। लेकिन दिल्ली से उद्घाटन की तिथि तय न होने और मोहंड क्षेत्र में पुराने रास्ते पर निर्माण चलते रहने की वजह से एलिवेटेड रोड का बड़ा हिस्सा अभी आम जनता के लिए बंद है। फिलहाल केवल दो किलोमीटर के हिस्से को खोला गया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस हिस्से की सड़क भी उद्घाटन से पहले ही उखड़ चुकी है।
गड्ढों ने बिगाड़ी सड़क की तस्वीर
आशारोड़ी पुलिस चौकी से पहले एलिवेटेड रोड पर करीब आठ से अधिक जगहों पर गहरे गड्ढे बन चुके हैं। यही नहीं, एक्सप्रेसवे पर बने टनल के पास स्वागत के लिए बनाई गई खूबसूरत कलाकृति के ठीक सामने सड़क पर गहरे गड्ढे देखने को मिले। कुछ स्थानों पर अस्थायी मरम्मत का काम किया गया था, लेकिन लगातार बारिश ने इन्हें फिर से उखाड़ दिया। विभाग का कहना है कि बरसात के बाद सभी गड्ढों को ठीक कर दिया जाएगा, फिलहाल बारिश के चलते काम करना संभव नहीं है।
दून से सहारनपुर तक एक जैसी हालत
एक्सप्रेसवे का बड़ा हिस्सा सहारनपुर में आता है, लेकिन दून के हिस्से में भी सड़क की हालत बिगड़ चुकी है। आशारोड़ी से एलिवेटेड रोड तक कई जगह सड़क धंसने लगी है। सहारनपुर सीमा में भी एलिवेटेड रोड पर जगह-जगह गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। यानी दून से सहारनपुर तक की तस्वीर लगभग एक जैसी है।
दरकते पहाड़ और गिरते पत्थर बने नई चुनौती
सबसे बड़ी समस्या उन पहाड़ी हिस्सों में सामने आई है, जिन्हें काटकर एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया था। बारिश के कारण ये पहाड़ अब दरक रहे हैं और लगातार मलबा व पत्थर सड़क पर गिर रहे हैं। सोमवार को की गई पड़ताल में कई जगह सड़क पर मलबा जमा हुआ मिला। एलिवेटेड रोड के किनारों पर मलबा रोकने के इंतज़ाम ज़रूर किए गए थे, लेकिन वे नाकाफी साबित हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह शुरू होगा और वाहन तेज़ रफ्तार से गुजरेंगे, तब यह दरकते पहाड़ और गिरते पत्थर हादसों का कारण बन सकते हैं।
विभाग ने दिए बचाव के आश्वासन
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पहाड़ी हिस्सों के ट्रीटमेंट के लिए वन विभाग से बात की जा रही है और जल्द ही स्थायी समाधान निकाला जाएगा। बारिश थमने के बाद गड्ढों की मरम्मत और पहाड़ों को मजबूत बनाने के काम को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, लोगों का कहना है कि जिस सड़क से वे सुरक्षित और तेज़ सफर की उम्मीद कर रहे थे, वह उद्घाटन से पहले ही दिक्कतों से घिर गई है।