
नैनीताल के ऐतिहासिक ओल्ड लंदन हाउस में बुधवार रात लगभग 10 बजे आग लग गई, जिसने आसपास के लोगों और अधिकारियों को घंटों के लिए हड़कंप मचा दिया। 1863 में निर्मित इस लकड़ी के भवन में लगे आग की लपटों ने तेजी से फैलकर खतरा बढ़ा दिया। आग पर काबू पाने के लिए तीन विभागों के 40 से अधिक फायर और राहत कर्मी रातभर जुटे रहे। देर रात लगभग एक बजे, जब आग लगभग 90 फीसदी बुझाई गई, तब अंदर से 83 वर्षीय शांता बिष्ट का शव बरामद हुआ। यह घटना तीन घंटे तक जारी जिंदगी बचाने की कोशिशों को व्यर्थ साबित कर गई।
घटना का सिलसिला
आग लगने की जानकारी सबसे पहले पास में मोबाइल की दुकान चलाने वाले विनीद कुमार वर्मा को हुई। उन्होंने बताया कि रात 9:54 बजे उन्हें जलने की गंध महसूस हुई। बाहर जाने पर हल्का धुआं नजर आया, और कुछ ही समय में आग की लपटें ऊँचाई तक पहुँच गईं। विनीद ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी, लेकिन आग इतनी तेज थी कि पानी की बौछार नाकाफी साबित हुई।
विनीद ने बताया कि घटना से कुछ समय पहले उन्होंने ओल्ड लंदन हाउस में रह रही प्रो. अजय रावत की बहन शांता बिष्ट और उनके पुत्र निखिल को इवनिंग वॉक से लौटते देखा था। आग लगने के बाद निखिल बरामदे में दिखाई दिए, जो बेसुध होकर लगातार “हाय मेरी मां, हाय मेरी मां” कह रहे थे।
ऐतिहासिक भवन और आग का कारण
ओल्ड लंदन हाउस 1863 में बना था और उस समय नैनीताल ब्रिटिश अधिकारियों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। भवन लकड़ी का था, इसलिए आग ने तुरंत भड़कना शुरू कर दिया। भवन में शांता बिष्ट और उनकी बहन कर्णलता रावत का निवास था। कर्णलता रावत मोहन लाल साह विद्यालय की सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य थीं।
फायर ब्रिगेड और राहत प्रयास
रात 10 बजे कंट्रोल रूम को सूचना मिली और मौके पर जल संस्थान के सभी पंप खोले गए। भीमताल, रामनगर, ऊधमसिंह नगर और रानीखेत से फायर टेंडर मंगाए गए। हालांकि, पानी की आपूर्ति में देरी और फायर हाइड्रेंट से पानी नहीं आने के कारण आग बुझाने में मुश्किल हुई। पंप हाउस जाने के बाद ही पानी की आपूर्ति शुरू हो सकी।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि फायर ब्रिगेड घटनास्थल से महज 500 मीटर की दूरी पर होने के बावजूद समय पर नहीं पहुंची। पहले आए वाहन में पर्याप्त पानी नहीं था, और फिर हाइड्रेंट ढूंढने में 45 मिनट लग गए। इस देरी की वजह से आग तेजी से फैल गई और अन्य भवनों तक भी इसकी लपटें पहुंच गईं।
निष्कर्ष
ओल्ड लंदन हाउस की आग ने न केवल एक वृद्ध महिला की जान ले ली, बल्कि लोगों में ऐतिहासिक भवनों और लकड़ी के संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ा दी है। यह घटना फायर ब्रिगेड और जल संस्थान की तत्परता और आपातकालीन योजना पर भी सवाल खड़ा करती है।
नैनीताल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले इस भवन की आग ने दिखाया कि आपातकालीन स्थिति में देरी कितनी जानलेवा साबित हो सकती है। स्थानीय प्रशासन ने आग पर नियंत्रण पा लिया है, लेकिन इस त्रासदी ने लोगों को सावधान रहने और सुरक्षा मानकों का पालन करने की गंभीर चेतावनी दी है।