
रूस से तेल खरीदने पर भारत पर अमेरिकी जुर्माने के तौर पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाए जाने के बाद अब अमेरिका ने भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लागू कर दिया है। 7 अगस्त को पहले 25 फीसदी शुल्क लगाने के बाद, 27 अगस्त से यह नया 50 फीसदी टैरिफ लागू हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर तुरंत नहीं दिखेगा, लेकिन लंबी अवधि में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
इस कदम से न सिर्फ बड़े उद्योग प्रभावित होंगे, बल्कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) पर भी इसका बड़ा असर देखा जा रहा है। उत्तर भारत के पंजाब से लेकर पश्चिम में गुजरात और दक्षिण में तमिलनाडु तक विभिन्न उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। पंजाब में अमेरिकी टैरिफ की वजह से लगभग 20 हजार करोड़ के निर्यात से जुड़े उद्योगों पर असर पड़ने की संभावना है। उत्तर प्रदेश के कानपुर और भदोही के चमड़ा और कालीन उद्योग पर भी संकट मंडरा रहा है।
उद्योग और उत्पाद पर असर:
- रत्न और आभूषण: वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 10 अरब डॉलर के रत्न-आभूषण निर्यात किए थे। अमेरिका में अब तक यह शुल्क 2.1 फीसदी था, जो अब बढ़कर 52.1 फीसदी हो गया है। गुजरात के सूरत, महाराष्ट्र के मुंबई और राजस्थान के जयपुर के रत्न-आभूषण केंद्रों में लाखों लोग कटिंग, पॉलिशिंग और मैन्युफैक्चरिंग में जुड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ बढ़ने से रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
- कपड़ा और टेक्सटाइल: भारत के कुल टेक्सटाइल निर्यात का 28 फीसदी अमेरिका को जाता है। अब तक अमेरिका ने इस क्षेत्र पर 9-13 फीसदी टैरिफ लगाया था, जो अब 63 फीसदी से अधिक हो गया है। प्रभावित केंद्रों में तमिलनाडु का तिरुपुर, उत्तर प्रदेश का नोएडा, हरियाणा का गुरुग्राम, कर्नाटक का बंगलूरू और पंजाब का लुधियाना शामिल हैं। अमेरिका में टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे और विदेशी प्रतिस्पर्धियों को फायदा मिलेगा।
- कृषि और मरीन उत्पाद: भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर से अधिक के कृषि उत्पाद निर्यात करता है। इसमें मरीन उत्पाद, मसाले, डेयरी, चावल, हर्बल उत्पाद, खाद्य तेल, शक्कर और ताजा सब्जियां शामिल हैं। टैरिफ बढ़ने से पाकिस्तान, थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों को फायदा हो सकता है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में इस सेक्टर को गंभीर असर पड़ेगा।
- लेदर और फुटवियर: भारत का चमड़ा और फुटवियर उद्योग अमेरिका को हर साल 1.18 अरब डॉलर का निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने से उत्तर प्रदेश के कानपुर, आगरा और तमिलनाडु के अंबूर-रानीपेट क्लस्टर प्रभावित होंगे।
- कालीन उद्योग: वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को भारत का 1.2 अरब डॉलर का कालीन निर्यात हुआ। अमेरिका में इस पर पहले 2.9 फीसदी टैरिफ था, जो अब 53 फीसदी हो गया है। उत्तर प्रदेश के भदोही, मिर्जापुर और जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित उद्योगों पर संकट छाया हुआ है। इससे 30 लाख श्रमिकों के रोजगार पर खतरा है।
- हथकरघा उद्योग: भारत ने अमेरिका को करीब 1.6 अरब डॉलर के हथकरघा निर्यात किए। टैरिफ बढ़ने से राजस्थान के जोधपुर, जयपुर और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, सहारनपुर के फैक्टरियों में संचालन संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
राज्यों पर असर:
- पंजाब: रेडीमेड गारमेंट्स, टेक्सटाइल, फास्टनर्स, इलेक्ट्रिकल्स, मशीन टूल्स, ऑटो पार्ट्स, लेदर प्रोडक्ट्स, स्पोर्ट्स गुड्स और कृषि उपकरण के निर्यात पर असर पड़ेगा।
- उत्तर प्रदेश: कानपुर के चमड़ा, टेक्सटाइल और मशीनरी उद्योग में 1500 करोड़ के निर्यात ऑर्डर रोके गए हैं। भदोही-मिर्जापुर में 30 लाख श्रमिकों के रोजगार पर संकट।
- हरियाणा: बासमती चावल और टेक्सटाइल उद्योग प्रभावित। पानीपत से 20,000 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल निर्यात प्रभावित।
- गुजरात: सूरत में डायमंड और आभूषण उद्योग में ऑर्डर रोके गए, एक लाख से अधिक श्रमिक प्रभावित।
- पश्चिम बंगाल: समुद्री खाद्य और चमड़ा उद्योग में संकट, कोलकाता के बंटाला लेदर हब में 5 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में बढ़ा टैरिफ लंबे समय तक भारत के निर्यात और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कंपनियों को अपनी रणनीति बदलनी होगी और नए बाजार तलाशने होंगे। यदि भारत अमेरिका जैसा बड़ा निर्यात बाजार बनाने में सफल हो जाता है, तो स्थिति नियंत्रित की जा सकती है।